द लोकतंत्र : कोरोना महामारी से बचाव हेतु वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका आजकल चर्चा में है। एस्ट्राजेनेका द्वारा बनायी गई कोविड वैक्सीन से दुर्लभ साइड इफेक्ट्स होते हैं जिसे कंपनी ने ख़ुद स्वीकारा था। अब इस मामले में वाराणसी में पीएम मोदी, सीरम इंस्टीट्यूट, चेयरमैन, सीईओ समेत 28 लोगों के ख़िलाफ़ याचिका दायर की गई है।
कोरोना महामारी को लेकर बनाई गई वैक्सीन से हो रहे साइड इफ़ेक्ट्स को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अधिवक्ता और यूथ कांग्रेस वाराणसी के अध्यक्ष विकास सिंह द्वारा MP-MLA कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। इसमें पीएम के साथ ही सीरम इंस्टिट्यूट सहित 28 अन्य को भी इसमें विपक्षी बनाया गया है।
क्या है मामला?
दरअसल, ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राज़ेनेका ने कोरोना वैक्सीन (AstraZeneca Corona Vaccine) से होने वाले दुष्प्रभाव को स्वीकार किया है। जिसके बाद दुनियाभर में इस वैक्सीन को लेकर रोष है। फार्मा कंपनी ने माना है कि उनकी कोविशील्ड वैक्सीन कई दुर्लभ मामलों में खून के थक्के जमने और प्लेटलेट काउंट कम होना का भी कारण हो सकती है। बता दें, भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने कोविशील्ड नाम से जो वैक्सीन बनाई थी, वह एस्ट्राजेनेका का ही फॉर्मूला है।
कोरोना महामारी के दौरान भारत सरकार द्वारा सीरम इंस्टिट्यूट द्वारा तैयार एस्ट्राजेनेका के लाइसेंस वाली कोविशील्ड वैक्सीन ही कोरोना से बचाव के लिए दी गई थी। भारत में सबसे ज्यादा 174 करोड़ से ज्यादा टीके के डोज कोविशील्ड के लगे हैं। कोरोना महामारी के बाद लोगों की अस्वाभाविक मौतें दर्ज की गई। भारत में कम उम्र में ही हार्ट अटैक के मामले अचानक से बढ़ गए। हालाँकि इन मौतों के पीछे वैक्सीन लेना ही कारण रहा यह स्पष्ट नहीं है।
अधिवक्ता विकास सिंह ने दायर की याचिका
अधिवक्ता विकास सिंह द्वारा 9 मई को कोर्ट में मानव अधिकार अधिनियम 1993 के तहत दायर याचिका में कहा गया है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीरम इंस्टीट्यूट कंपनी, उसके चेयरमैन, सीईओ, एस्ट्राजेनेका कंपनी, और उसके चेयरमैन समेत सभी 28 विपक्षीगणों ने आपस में मिलीभगत करते हुए बिना किसी ठोस वैज्ञानिक परीक्षण के कोविशील्ड नामक दवा बनाकर लोगों को मृत्यु का भय दिखाते हुए कोरोना वैक्सीन बताकर जबरन टीके लगवाए गये और उससे लाभ अर्जित किए गये।
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यही नहीं वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट द्वारा प्रधानमंत्री को उस लाभ में हिस्सेदार बनाते हुए उन्हें चंदे के रूप में कंपनी द्वारा अर्जित लाभांश दिया गया। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि विपक्षीगणों द्वारा यह जानते हुए कि इस दवा का साइड इफेक्ट्स होगा, लोगों को जानबूझकर मौत के मुंह में धकेला गया। याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायहित और लोक हित में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सभी 28 विपक्षीगण को बतौर अभियुक्त तलब कर उन्हे दंडित किया जाय।
याचिका स्वीकार, सुनवाई के लिए 23 मई की तारीख मुकर्रर
मामले में सुनवाई के बाद अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/अपर सिविल जज (सीडी प्रथम) की कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करके सुनवाई के लिए 23 मई की तारीख तय कर दी। इस याचिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीरम इंस्टीट्यूट कंपनी, उसके चेयरमैन, सीईओ, एस्ट्रोजेन कंपनी, और उसके चेयरमैन समेत 28 लोगों को आरोपी बनाया है।