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NEET-NET छोड़िये ‘इंस्टाग्राम रील’ बनाइए, मोदी सरकार भी नहीं चाहती आप डॉक्टर-प्रोफ़ेसर बनें

Leave NEET-NET and make 'Instagram reels', even Modi government does not want you to become a doctor or professor

द लोकतंत्र / सुदीप्त मणि त्रिपाठी : नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की निष्पक्ष तरीके से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं को आयोजित न कर पाना भारत के छात्रों और उनके शैक्षणिक भविष्य के लिए चिंतनीय है। जिस तरह विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक हो रहे हैं वह भारत की शिक्षा और परीक्षा प्रणाली में भीतर तक घर कर गये भ्रष्टाचार के जड़ों की तस्दीक़ करता है। बीते दिनों NEET परीक्षा के नतीजों में जो गड़बड़ियां सामने आई, वह इस बात को प्रमाणित करने के लिए काफी हैं। 

NTA का मतलब ‘नो ट्रस्ट एनीमोर’

AAP नेता राघव चड्ढा ने बीते मंगलवार को राज्यसभा में कहा था कि इंडिया पेपर लीक से NEET-UGC NET की परीक्षा में बैठने वाले 35 लाख बच्चों का भविष्य अंधकार में है। पिछले 10 साल में केंद्र की सरकार हमारे युवाओं को अच्छी शिक्षा व्यवस्था नहीं दे पाई है। राघव चड्ढा ने पेपर लीक मामले को देश का दूसरा IPL भी कहा। राघव चड्ढा ने यह भी कहा कि एनटीए का मतलब ‘नो ट्रस्ट एनीमोर’ हो गया है। यहाँ सवाल है कि राघव चड्ढा ने ग़लत ही क्या कहा। आज देश के भीतर प्रतियोगी परीक्षाओं की जो हालत है उससे हर वह आम छात्र ठगा हुआ महसूस कर रहा है जिसके भीतर पढ़कर आगे बढ़ने के सपने हैं।

कौन हैं वे आम छात्र जो डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफ़ेसर, लोकसेवक बनकर देश की सेवा करना चाहते हैं? दरअसल, यह वह छात्र हैं जो देश के लाखों गाँवों में रहते हैं, अभाव की ज़िंदगी जीते हैं, जिनके माता पिता की आँखो में उनके लिए सपने हैं, जिनके लिए उनके माता पिता अपना पेट काटकर उनके पढ़ने के लिए सुविधाएँ मुहैया कराते हैं। और, उन्हें हमारी सरकारें भरोसा भी नहीं दे पा रही हैं कि उनके मेहनत की परीक्षा पारदर्शी और निष्पक्ष तरीक़े से हो सके?

मोदी सरकार क्या चाहती है NEET-NET करने की जगह ‘इंस्टाग्राम रील्स’ बनायें देश के युवा?

देश में जो मौजूदा हालात हैं और जिस तरह सरकारें शुचिता पूर्ण तरीक़े से परीक्षा नहीं करा पा रही और लगातार पेपर लीक की घटनाएँ हो रही हैं, परीक्षा रद किए जा रहे हैं, भर्तियाँ घोटालों में फँस रही हैं, नौकरियाँ ख़त्म की जा रही हैं ऐसे में क्या युवाओं को NEET-NET की तैयारी छोड़कर सोशल मीडिया पर रील्स बनाना शुरू कर देना चाहिए? दरअसल, केंद्र सरकार का इस पूरे मामले में जो रवैया है उसे देखकर यही लगता है कि सरकारों को कोई दिलचस्पी नहीं है कि छात्र-छात्रायें पढ़कर डॉक्टर-प्रोफ़ेसर या किसी अन्य बौद्धिक पेशे में जायें।

आपको याद होगा कि लोकसभा चुनाव के पहले प्रधानमंत्री मोदी ने देशभर के सोशल मीडिया क्रिएटर्स और गेमर्स से मुलाक़ात की थी। एक बड़ा इवेंट किया गया था और सोशल मीडिया इन्फ्लूएंशर्स के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने अच्छा वक़्त बिताया था। एक तरफ़ जहां प्रतियोगी परीक्षाओं में लगातार धांधली और पेपर लीक की घटनाएँ हैं वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा सोशल मीडिया इन्फ्लूएंशर्स से मुलाक़ात। एक तरफ जहां सदन में विपक्ष को NEET-NET जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बोलने नहीं दिया जा रहा दूसरी तरफ़ पीएम का झुकाव सोशल मीडिया इन्फ्लूएंशर्स की तरफ़। संदेश साफ है कि पढ़ाई-लिखाई में क्या रखा है? संघर्ष-ठोकरें-लाठियाँ-पेपर लीक-आत्महत्याएँ और वेदना वहीं सोशल मीडिया पर ठुमकों, बेवक़ूफ़ियों, अश्लीलता से नेम-फ़ेम-पैसा और पीएम से मुलाक़ात।

संसद से युवाओं को एक संदेश और आश्वासन जाना चाहिए

बीते दिनों, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा, युवा चिंतित हैं और वे नहीं जानते कि क्या होने वाला है। संसद से युवाओं को एक संदेश और आश्वासन जाना चाहिए कि भारत की सरकार और विपक्ष छात्रों की चिंताओं को उठाने में एक साथ हैं। राहुल गांधी ने ये भी कहा कि I.N.D.I.A गठबंधन सोचता है कि यह सबसे महत्वपूर्ण मामला है।

उन्होंने आगे कहा था कि, विपक्षी सदस्य सम्मानपूर्वक इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। मैं देश के छात्रों से कहना चाहता हूं कि यह उनका मुद्दा है और हम सभी भारतीय समूह महसूस करते हैं कि आपका मुद्दा सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि आप भारत का भविष्य हैं।

बहरहाल, इस विषय पर बहुत लिख सकता हूँ। बहुत से बिंदु हैं जिसका ज़िक्र हो सकता है और जो यह बताने को काफी है कि कैसे देश की शिक्षा-परीक्षा प्रणाली पर नक़ल माफिया न सिर्फ़ हावी हैं बल्कि सरकारों में महत्वपूर्ण पदों पर भी हैं। कैसे NEET में पेपर लीक होता है और मेधावियों की जगह पैसे देने वाले टॉपर्स बन जाते हैं? कैसे यूपी लोक सेवा आयोग ने यूपी पीसीएस जे 2022 की मुख्य परीक्षा के पचास अभ्यर्थियों की कॉपियों को बदल दिया, कैसे पुलिस भर्ती परीक्षाएँ नक़ल और पेपर लीक की भेंट चढ़ गई। बहुत सी बातें हैं जो यह बताती हैं कि देश के युवाओं को डॉली टपरी चाय वाला, वड़ा पाव गर्ल चंद्रिका दुबे, चिकन लेग पीस, सोफिया अंसारी या नेहा सिंह सरीखी अश्लील कंटेंट परोसने वाले सोशल मीडिया इन्फ्लूएंशर बनने को मजबूर कर रहे हैं।

Sudeept Mani Tripathi

Sudeept Mani Tripathi

About Author

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से हिंदी पत्रकारिता में परास्नातक। द लोकतंत्र मीडिया फाउंडेशन के फाउंडर । राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर लिखता हूं। घूमने का शौक है।

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