द लोकतंत्र : बजट सत्र (Budget 2024) के दूसरे दिन यानी आज वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण आज मोदी सरकार 3.0 का पहला आम बजट पेश करेंगी। इस बजट को लेकर लोगों में काफी उम्मीदें हैं। वित्त मंत्री सुबह 11 बजे केंद्रीय बजट पेश करेंगी। इस साल फरवरी में पेश किए गए अंतरिम बजट के मुताबिक, सरकार के खर्च और आमदनी के बीच का अंतर यानी राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह आंकड़ा पिछले वित्त वर्ष में 5.8 प्रतिशत था। बता दें, लोकसभा चुनाव की वजह से दूसरी बार बजट पेश हो रहा है। पहला अंतरिम बजट फ़रवरी में पेश हुआ था।
आम लोगों को बजट से उम्मीदें
इस बजट से भारत के कारोबारियों और अन्य सेक्टरों के लोगों को खासी उम्मीदें हैं। वित्तमंत्री अपने सातवे बजट में नई विनिर्माण सुविधाओं (Manufacturing Facilities) के लिए कर प्रोत्साहन (Tax Incentives) दे सकती हैं और रोजगार पैदा करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय खरीद को प्रोत्साहित कर सकती हैं। वहीं, मध्यम वर्ग के लिए कर राहत (Tax Relief for the Middle Class) की घोषणा करेंगी या नहीं, इस बात का मध्यम वर्ग को सबसे ज्यादा इंतजार रहेगा। चुनाव पूर्व अंतरिम बजट में मध्यम वर्ग को कुछ नहीं मिला, इसलिए इस बजट पर माध्यम वर्ग काफी उम्मीदें लगाये बैठा है।
मौजूदा वक्त में सरकार के सामने बढ़ती महंगाई और कम होते रोजगार के मौके से निपटने की चुनौती है। इस बात का ज़िक्र कल वित्तमंत्री ने आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत करते हुए किया था। महँगायी से आम वर्ग को निजात दिलाने के लिए बजट में क्या महत्वपूर्ण कदम उठाये जाएँगे इसपर भी लोगों की नज़र बनी रहेगी। साथ ही, वित्त मंत्री ने संकेत दिया है कि वह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को बढ़ावा देने के लिए कदमों की घोषणा करेंगी, जो देश के विकास इंजन का एक हिस्सा हैं। एमएसएमई को राहत मिलने से रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) विनिर्माण (Manufacturing) में खास तौर पर वृद्धि की गुंजाइश है।
चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ाने की वकालत
कल पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में चीन के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने और निर्यात बाजार का दोहन करने के लिए पड़ोसी देश (चीन) से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ाने की वकालत की गई है। आर्थिक समीक्षा कहती है, चूंकि अमेरिका और यूरोप अपनी तात्कालिक आपूर्ति चीन से हटा रहे हैं, इसलिए पड़ोसी देश से आयात करने के बजाय चीनी कंपनियों द्वारा भारत में निवेश करना और फिर इन बाजारों में उत्पादों का निर्यात करना अधिक प्रभावी है।
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समीक्षा में कहा गया कि भारत के पास ‘चीन प्लस वन’ रणनीति से लाभ उठाने के लिए दो विकल्प हैं। पहली चीन की आपूर्ति श्रृंखला में शामिल हो जाना या फिर चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देना। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, इन विकल्पों में से चीन से एफडीआई पर ध्यान केंद्रित करना अमेरिका को भारत के निर्यात को बढ़ाने के लिए अधिक आशाजनक प्रतीत होता है, जैसा कि पूर्व में पूर्वी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं ने किया था।
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