द लोकतंत्र / हरियाणा : हरियाणा (Haryana) में विधानसभा चुनाव प्रचार के आखिरी दिन, पूर्व सांसद अशोक तंवर ने कांग्रेस में वापसी कर ली है। तंवर का यह निर्णय न सिर्फ़ उनके व्यक्तिगत सियासी करियर बल्कि हरियाणा की राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भी महत्वपूर्ण मोड़ लाने वाली है। बता दें, अशोक तंवर हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं और उन्हें राज्य में एक प्रमुख दलित नेता के रूप में जाना जाता है। उनके घर वापसी से कांग्रेस को एक नई ताकत मिल सकती है, जो पार्टी के लिए सियासी लाभ का कारण बन सकती है। उनके समर्थकों और दलित समुदाय के बीच मजबूत पकड़ के कारण, तंवर की वापसी से कांग्रेस की चुनावी संभावनाएँ मजबूत हो गई हैं।
बीजेपी ने साधा निशाना, बताया प्रवासी पक्षी
बीजेपी ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐसे नेताओं का पार्टी में कोई महत्व नहीं होता। इस मामले पर पूर्व गृहमंत्री और अंबाला कैंट से बीजेपी उम्मीदवार अनिल विज ने कहा, ये प्रवासी पक्षी हैं जो एक डाल से दूसरी डाल पर उड़ते रहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जनता दलबदलुओं को पहचानती है और उन पर भरोसा नहीं करती। विज का यह बयान से स्पष्ट है कि बीजेपी ने तंवर की वापसी को लेकर नकारात्मक रुख अख़्तियार कर लिया है।
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हालांकि, बीजेपी के लिए तंवर की घर वापसी सियासी रूप से गंभीर नकारात्मक परिणाम लाने वाले हैं। वहीं, तंवर की वापसी से कांग्रेस को एक नया चेहरा मिल गया है, जिससे उसके लिए चुनावी रणनीतियों को मजबूत करने का मौका बढ़ गया है। अगर तंवर अपने पुराने समर्थकों को एकजुट करने में सफल होते हैं, तो इससे कांग्रेस को सत्ता में आने की दिशा में बढ़त मिल सकती है।
दूसरे, तंवर की वापसी से बीजेपी के पारंपरिक वोट बैंक में भी खटास आ सकती है। खासकर दलित समुदाय में, तंवर का प्रभाव उन्हें बीजेपी से दूर कर सकता है। बीजेपी को यह समझना होगा कि हरियाणा में दलित मतदाता एक महत्वपूर्ण वोट बैंक हैं, और यदि यह वोट बैंक कांग्रेस की ओर वापस लौटता है, तो इससे पार्टी की चुनावी संभावनाएँ और जीत की आशा प्रभावित हो सकती हैं।