द लोकतंत्र: फ्रांस की राजधानी पेरिस समेत कई शहरों में बुधवार (10 सितंबर 2025) को भड़के प्रदर्शनों ने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की सरकार को हिला दिया है। ‘Block Everything’ नामक आंदोलन के तहत हजारों प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर आगजनी और जाम लगाया। स्थिति बिगड़ने पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया। हालात काबू में करने के लिए करीब 80,000 पुलिसकर्मी और जेंडरम तैनात किए गए हैं।
प्रदर्शनकारियों का गुस्सा
पेरिस के पूर्वी इलाके पोर्त द मोन्त्रुई में प्रदर्शनकारियों ने कूड़ेदान में आग लगाई और ट्राम की पटरियों पर अवरोध खड़े कर दिए। कुछ समूहों ने हाईवे ब्लॉक करने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षाबलों ने उन्हें रोक दिया। राजधानी के व्यस्ततम रेलवे स्टेशन ‘गारे द नॉर्द’ के आसपास भी तनावपूर्ण माहौल देखने को मिला, जहां सैकड़ों लोग जमा हुए।
क्यों हो रहे हैं विरोध?
यह आंदोलन राष्ट्रपति मैक्रों के करीबी सहयोगी सेबास्टियन लेकॉर्नू को प्रधानमंत्री नियुक्त करने के फैसले के बाद और तेज हो गया। विपक्षी दलों और जनता का आरोप है कि लगातार प्रधानमंत्री बदलने से देश में स्थिरता खत्म हो रही है।
फ्रांस के पूर्व पीएम फ्रांस्वा बायरू संसद में विश्वास मत हार गए थे और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड चैट्स के जरिए ‘Block Everything’ आंदोलन को संगठित किया गया।
जनता की नाराजगी की बड़ी वजहें
- पूर्व पीएम बायरू ने बजट में 44 अरब यूरो (लगभग 52 अरब डॉलर) की कटौती का प्रस्ताव दिया था।
- सरकार 2026 में पेंशन पर रोक लगाने, दो नेशनल हॉलिडे रद्द करने और हेल्थ सर्विस में भारी कटौती करने की तैयारी में है।
- आम जनता का मानना है कि मैक्रों की नीतियां केवल अमीर वर्ग के पक्ष में हैं, जबकि मिडिल क्लास पर बोझ बढ़ता जा रहा है।
- पिछले एक साल में मैक्रों चौथे प्रधानमंत्री को नियुक्त कर चुके हैं, जिससे सरकार की स्थिरता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
यूनियनों का समर्थन
इस आंदोलन को दो प्रमुख यूनियनों सीजीटी और एसयूडी का समर्थन भी मिला है। दोनों ने 18 सितंबर को व्यापक हड़ताल का ऐलान किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह विरोध और फैला, तो मैक्रों सरकार के लिए राजनीतिक संकट और गहराएगा।
हालांकि ‘Block Everything’ आंदोलन 2018 के ‘येलो वेस्ट’ प्रदर्शन जितना संगठित नहीं दिख रहा, लेकिन ऑनलाइन समर्थन इसे ताकत दे रहा है। फ्रांस में बढ़ते असंतोष से यह साफ है कि मैक्रों सरकार को आने वाले समय में जनता का भरोसा जीतने के लिए बड़े कदम उठाने होंगे।