द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : नोबेल शांति पुरस्कार 2025 का ऐलान हो गया है, और इस साल का यह प्रतिष्ठित सम्मान वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को दिया गया है। नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने लोकतांत्रिक अधिकारों के संवर्धन और तानाशाही से लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण परिवर्तन के संघर्ष में उनके योगदान को देखते हुए यह निर्णय लिया। मचाडो लंबे समय से वेनेजुएला में लोकतंत्र, पारदर्शी चुनाव और नागरिक स्वतंत्रता की आवाज़ उठाती रही हैं।
पुरस्कार की घोषणा के बाद मचाडो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर कहा कि यह सम्मान पूरे वेनेजुएला के नागरिकों के संघर्ष की पहचान है। उन्होंने लिखा, यह हमारे काम को पूरा करने की प्रेरणा है। हम जीत की दहलीज पर हैं। पहले से कहीं अधिक आजादी और लोकतंत्र के लिए हम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका, लैटिन अमेरिका के लोगों और दुनिया के लोकतांत्रिक देशों को अपने सहयोगी के रूप में देखते हैं।
डॉनल्ड ट्रंप को समर्पित किया पुरस्कार
मचाडो ने आगे कहा कि वे यह नोबेल शांति पुरस्कार अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को समर्पित करती हैं, जिन्होंने वेनेजुएला के लोकतंत्र आंदोलन में नैतिक समर्थन दिया। उन्होंने कहा, मैं यह पुरस्कार वेनेजुएला के पीड़ित लोगों और हमारे उद्देश्य के प्रति निर्णायक समर्थन के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को समर्पित करती हूं।
इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार काफी चर्चा में था, क्योंकि इसके लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी कई देशों जैसे पाकिस्तान, इज़रायल, रूस, अज़रबैजान, थाईलैंड, आर्मेनिया और कंबोडिया ने नामांकित किया था। हालांकि, ट्रंप का यह सपना एक बार फिर अधूरा रह गया। इस वर्ष कुल 338 नामांकन प्राप्त हुए, जिनमें 244 व्यक्ति और 94 संगठन शामिल थे।
कौन हैं मारिया कोरिना मचाडो?
मारिया कोरिना मचाडो का जन्म 7 अक्तूबर 1967 को कराकस, वेनेजुएला में हुआ था। वह एक प्रमुख राजनेता होने के साथ-साथ मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील भी हैं। मचाडो कई बार वेनेजुएला में अधिनायकवादी शासन के खिलाफ मुखर रही हैं और उन्होंने हमेशा स्वतंत्र चुनाव और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए संघर्ष किया है।
शांति के अलावा इन क्षेत्रों में भी नोबेल की घोषणा
सिर्फ शांति ही नहीं, बल्कि इस साल अन्य नोबेल पुरस्कारों ने भी कई ऐतिहासिक नामों को सम्मानित किया है। फिजियोलॉजी या मेडिसिन के क्षेत्र में मैरी ई. ब्रुनको, फ्रेड राम्सडेल और शिमोन साकागुची को इम्यून सिस्टम से जुड़ी उनकी अभूतपूर्व खोजों के लिए सम्मानित किया गया। भौतिकी (Physics) का पुरस्कार जॉन क्लार्क, मिशेल एच. डेवोरेट और जॉन एम. मार्टिनिस को उनके क्वांटम सर्किट पर किए गए नवाचार कार्य के लिए मिला, जिसने भविष्य की कंप्यूटिंग तकनीक को नई दिशा दी।
रसायन विज्ञान (Chemistry) के क्षेत्र में सुसुमु कितागावा, रिचर्ड रॉबसन और उमर एम. याघी को सम्मानित किया गया, जिन्होंने रेटिकुलर और फ्रेमवर्क केमिस्ट्री में क्रांतिकारी शोध किए। वहीं साहित्य का नोबेल पुरस्कार इस बार हंगरी के प्रसिद्ध लेखक लास्जलो क्रास्जनाहोरकाई को मिला। उनकी रचनाएं मानव जीवन, अस्तित्व और समाज की जटिलताओं को गहराई से उजागर करती हैं।
लास्जलो क्रास्जनाहोरकाई, जिनका जन्म 5 जनवरी 1954 को ग्युला, हंगरी में हुआ, ने 1985 में अपने पहले उपन्यास ‘सतांतंगो’ से साहित्य जगत में अपनी पहचान बनाई। उनके लेखन की शैली दार्शनिक और गहन मानी जाती है, जो पाठकों को मानव मनोविज्ञान की जटिलताओं में उतरने के लिए प्रेरित करती है।

