द लोकतंत्र: कैल्शियम हमारे शरीर का एक अहम पोषक तत्व है। यह न केवल हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाता है बल्कि दिल की धड़कन को नियंत्रित करने, नसों के कामकाज और मांसपेशियों को सक्रिय रखने में भी मदद करता है। विशेषज्ञों के अनुसार, महिलाओं में कैल्शियम की कमी आम समस्या बन चुकी है। खासतौर पर गर्भावस्था, स्तनपान और मेनोपॉज़ के बाद यह कमी अधिक देखने को मिलती है।
महिलाओं में कैल्शियम की कमी के प्रमुख कारण
महिलाओं में कैल्शियम की कमी मुख्य रूप से हार्मोनल बदलाव और खानपान की अनियमितता की वजह से होती है।
हार्मोनल बदलाव: मेनोपॉज़ के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन कम होने से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं।
गर्भावस्था और स्तनपान: इस दौरान महिला का शरीर शिशु की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अधिक कैल्शियम का इस्तेमाल करता है।
गलत खानपान: दूध, दही और हरी सब्जियों को डाइट से बाहर करने पर कैल्शियम की कमी होती है।
शारीरिक गतिविधि की कमी: व्यायाम न करने और लगातार बैठे रहने से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।
जंक फूड और कैफीन: चाय, कॉफी और प्रोसेस्ड फूड का ज्यादा सेवन शरीर से कैल्शियम को बाहर कर देता है।
कैल्शियम की कमी के लक्षण
यदि शरीर में कैल्शियम की कमी हो तो ये लक्षण दिखाई दे सकते हैं:
हड्डियों और जोड़ों में लगातार दर्द
दांतों का कमजोर होना
मांसपेशियों में खिंचाव और ऐंठन
थकान और कमजोरी
नाखूनों का भुरभुरा होना
महिलाओं के लिए कैल्शियम के प्रमुख स्रोत
डेयरी प्रोडक्ट्स: दूध, दही, पनीर और छाछ कैल्शियम से भरपूर होते हैं।
हरी पत्तेदार सब्जियां: पालक, मेथी, बथुआ और सरसों का साग हड्डियों को मजबूत बनाते हैं।
सूखे मेवे और बीज: बादाम, अंजीर, तिल और अलसी कैल्शियम का अच्छा स्रोत हैं।
समुद्री भोजन: मछली और झींगा खाने वालों के लिए यह बेहतरीन विकल्प है।
सप्लीमेंट्स: डॉक्टर की सलाह से कैल्शियम और विटामिन D की दवाइयां ली जा सकती हैं।
कैल्शियम की कमी से बचाव के आसान उपाय
रोजाना कम से कम 15 मिनट धूप में बैठें ताकि विटामिन D की कमी पूरी हो सके।
नियमित व्यायाम करें, खासकर योग और वॉकिंग।
जंक फूड, ज्यादा नमक और कोल्ड ड्रिंक्स से दूरी बनाएं।
संतुलित आहार में कैल्शियम और प्रोटीन को शामिल करें।
महिलाओं के लिए कैल्शियम की कमी एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसे नज़रअंदाज़ करना आगे चलकर ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डियों की कमजोरी जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है। सही खानपान, व्यायाम और समय पर डॉक्टर की सलाह से इस समस्या से बचा जा सकता है।