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क्या साथ रहने से महिलाओं के पीरियड्स एक साथ आते हैं? जानिए ‘पीरियड सिंक्रनाइज़ेशन’ की सच्चाई

Does living together make women's periods synchronize? Know the truth about 'period synchronization'

द लोकतंत्र/ लाइफ़स्टाइल : कई बार आपने सुना होगा कि जब लड़कियां एक साथ हॉस्टल, कॉलेज या घर में रहती हैं, तो उनके पीरियड्स एक ही समय पर आने लगते हैं। यह धारणा लंबे समय से चलती आ रही है, लेकिन क्या इसका कोई वैज्ञानिक आधार भी है या यह केवल एक संयोग मात्र है? आइए जानें, विज्ञान इस पर क्या राय देता है।

कैसे शुरू हुई ‘सिंक पीरियड्स’ की थ्योरी?

इस विचार की शुरुआत 1971 में मार्था मैक्लिंटॉक नाम की एक रिसर्चर ने की थी। उन्होंने दावा किया था कि जो महिलाएं लंबे समय तक एक साथ रहती हैं, उनके मासिक धर्म चक्र धीरे-धीरे एक जैसा हो सकता है। उन्होंने इसे शरीर से निकलने वाले रसायन, जिसे फेरोमोन्स कहते हैं, का प्रभाव बताया। उनका मानना था कि ये फेरोमोन्स आस-पास की महिलाओं के हार्मोन को प्रभावित करते हैं।

हाल की रिसर्च क्या कहती हैं?

हाल के वर्षों में इस विषय पर कई स्टडीज़ हुई हैं, लेकिन परिणाम एक जैसे नहीं रहे।

  • 2017 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और Clue ऐप की एक रिसर्च में 1500 महिलाओं के मासिक धर्म डेटा को जांचा गया। इसमें ज़्यादातर मामलों में यह पाया गया कि महिलाओं के पीरियड्स एक जैसे होने के बजाय अलग-अलग हो गए।
  • 2006 में चीन में हुई स्टडी में 186 छात्राओं को एक साल तक ट्रैक किया गया। इसमें भी यह निष्कर्ष निकला कि पीरियड्स का एक जैसा होना महज़ एक संयोग हो सकता है, इसका कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
  • 2023 में भारत की मेडिकल स्टूडेंट्स पर हुई रिसर्च में थोड़ी अलग तस्वीर सामने आई। इसमें पाया गया कि करीब 55% छात्राओं के पीरियड्स की तारीखें करीब आईं, लेकिन फिर भी यह साबित नहीं हो पाया कि इसकी वजह फेरोमोन्स ही हैं।

फिर यह धारणा इतनी लोकप्रिय क्यों?

दरअसल, महिलाएं उन समयों को ज्यादा याद रखती हैं जब उनका पीरियड किसी और से मेल खा गया। लेकिन जब ऐसा नहीं होता, तो वह उतना ध्यान नहीं देतीं। इसके अलावा, मासिक धर्म चक्र 21 से 40 दिनों तक का हो सकता है, जिससे कई बार दो महिलाओं के चक्र अपने-आप एक जैसे लग सकते हैं।

वैज्ञानिक नजरिए से कहें तो ‘पीरियड सिंक्रनाइज़ेशन’ कोई स्थापित सत्य नहीं है। कुछ रिसर्च इसे संभव मानती हैं, तो कुछ इसे संयोग या गणितीय मेल कहती हैं। अभी इस विषय पर और शोध की ज़रूरत है।

Uma Pathak

Uma Pathak

About Author

उमा पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मास कम्युनिकेशन में स्नातक और बीएचयू से हिन्दी पत्रकारिता में परास्नातक किया है। पाँच वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली उमा ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उमा पत्रकारिता में गहराई और निष्पक्षता के लिए जानी जाती हैं।

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