द लोकतंत्र : डेली रूटीन में चाय, कॉफी से लेकर डेजर्ट्स तक दूध का इस्तेमाल किया जाता है। दूध की न्यूट्रिशनल वैल्यू भी हाई होती है, इसलिए यह बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए फायदेमंद है। दूध का सेवन न सिर्फ आपकी हड्डियों को मजबूत बनाता है, बल्कि यह आपकी मसल्स को भी स्ट्रॉन्ग करता है और कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाए रखने में मददगार होता है।
पहले के समय में, दूध घरों में गाय-भैंस पालकर या डेयरी से लाया जाता था, लेकिन अब शहरों में ज्यादातर लोग पैकेट वाले दूध पर निर्भर हैं। आपने भी कई बार सुना होगा कि पैक्ड मिल्क को उबालकर पीने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि यह पाश्चुरीकृत (Pasteurized) होता है। तो चलिए, आज जान लेते हैं कि आखिर पाश्चुरीकरण क्या होता है, यह क्यों किया जाता है और यह हमें कच्चा दूध पीने के जोखिमों से कैसे बचाता है।
क्या होता है पाश्चुरीकरण?
पाश्चुरीकरण (Pasteurization) एक ऐसी वैज्ञानिक प्रक्रिया होती है, जिसमें दूध या अन्य तरल पदार्थों को एक फिक्स्ड टेम्परेचर पर गर्म किया जाता है और फिर इसे तेजी से ठंडा करते हैं।
- प्रक्रिया: नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर मुकेश नंदल बताते हैं कि इस प्रोसेस में दूध को लगभग 72 डिग्री सेल्सियस (72°C) के तापमान पर केवल 15 सेकंड के लिए गर्म करते हैं और फिर इसे तेजी से ठंडा किया जाता है।
- उद्देश्य: इस प्रक्रिया में हानिकारक बैक्टीरिया, यीस्ट और फफूंद आदि खत्म हो जाते हैं। इससे न सिर्फ दूध की शेल्फ लाइफ बढ़ती है, बल्कि इससे आप कई संक्रामक बीमारियों से भी बचे रहते हैं।
किसने शुरू किया पाश्चुरीकरण?
पाश्चुरीकरण की प्रक्रिया की खोज 19वीं सदी में महान फ्रांसीसी वैज्ञानिक लुई पाश्चर (Louis Pasteur) द्वारा की गई थी। उन्होंने बीयर, वाइन, और दूध जैसे खाद्य पदार्थों से हानिकारक बैक्टीरिया को मारने के लिए यह तकनीक विकसित की थी। लुई पाश्चर ने रेबीज और एंथ्रेक्स जैसी गंभीर समस्याओं के लिए वैक्सीन भी विकसित की थीं।
कच्चा दूध पीने के जोखिम
डॉ. मुकेश नंदल का कहना है कि पाश्चुरीकृत या उबाला हुआ दूध पीना सुरक्षित है। अगर दूध को उबाला न जाए और कच्चा दूध पिया जाए, तो टीबी (Tuberculosis), ब्रूसेला, टाइफाइड जैसी गंभीर समस्याएं होने की संभावना रहती है।
- संक्रमण का खतरा: ये संक्रमण, गाय या भैंस के थन से या इनवायरमेंट से हमारे पेट में पहुंचकर हमें बीमार कर सकते हैं। कई बार गाय और भैंस मल में बैठ जाती हैं, और आसपास के कीट भी उनके संपर्क में आते हैं, जिससे दूध में संक्रमण आ सकता है।
पोषक तत्वों पर असर
कई बार मन में यह सवाल आता है कि पाश्चुरीकरण की प्रक्रिया में दूध को गर्म करने से क्या उसकी न्यूट्रिशनल वैल्यू पर असर पड़ता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इस प्रोसेस में दूध को सिर्फ 15 सेकंड के लिए और फिक्स्ड तापमान पर गर्म करते हैं। ऐसे में, इससे सिर्फ बैक्टीरिया नष्ट होते हैं और दूध के पोषक तत्वों पर कोई असर नहीं पड़ता है।
100 ग्राम दूध में न्यूट्रिएंट्स (यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एग्रिकल्चर के मुताबिक):
| पोषक तत्व | मात्रा | कार्य |
| प्रोटीन | 3.27 ग्राम | मसल्स को स्ट्रॉन्ग करता है। |
| कैल्शियम | 123 मिलीग्राम | हड्डियों को मजबूत बनाता है। |
| पोटेशियम | 150 मिलीग्राम | ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में सहायक। |
| मैग्नीशियम | 11.9 मिलीग्राम | – |
| फास्फोरस | 101 मिलीग्राम | – |
| विटामिन्स | बी12, ए, डी, बी6, बी1, बी2, बी3 | समग्र स्वास्थ्य और इम्यूनिटी के लिए जरूरी। |
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यही कारण है कि जब हम डेयरी से कच्चा दूध लेकर आते हैं, तो उसे उबालकर पीने की सलाह दी जाती है, जबकि पाश्चुरीकृत पैकेट वाले दूध को सीधे इस्तेमाल किया जा सकता है।

