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मंडी में स्थित प्राचीन ‘Prashar Rishi Temple’, पैगोडा शैली की वास्तुकला और रहस्यमयी झील का आकर्षण

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द लोकतंत्र : “देवभूमि” और “वीर भूमि” के नाम से विख्यात हिमाचल प्रदेश न केवल अपने मनमोहक प्राकृतिक दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहाँ कई प्राचीन और धार्मिक स्थल भी हैं जो गहन आस्था का केंद्र हैं। दिल्ली और निकटवर्ती क्षेत्रों के पर्यटकों के लिए शिमला, मनाली या धर्मशाला जैसे स्थान लोकप्रिय हैं, लेकिन मंडी जिले में स्थित पराशर मंदिर अध्यात्म और शांत सौंदर्य का अद्वितीय मिश्रण प्रस्तुत करता है।

ऋषि पराशर मंदिर की अनूठी पहचान

ऋषि पराशर मंदिर पराशर झील के किनारे पर स्थित एक प्राचीन संरचना है। यह मंदिर अपनी पिरामिड के आकार की पैगोडा-शैली की वास्तुकला के लिए विशेष रूप से जाना जाता है।

  • निर्माण और इतिहास: यह मंदिर 13-14वीं शताब्दी में मंडी के तत्कालीन राजा बाण सेन द्वारा बनवाया गया था। स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, इस मंदिर के निर्माण में एकल देवदार के पेड़ का उपयोग किया गया था।
  • वास्तुकला और मूर्तियाँ: पैगोडा शैली की छतें एक के ऊपर एक होती हैं और ऊपर की ओर मुड़ी होती हैं, जो लकड़ी की बारीक नक्काशी से सुसज्जित हैं। मंदिर के अंदर मुख्य रूप से ऋषि पराशर की मूर्ति के साथ ही भगवान विष्णु, शिव और महिषमर्दिनी देवी की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं।

पराशर झील: रहस्य और सौंदर्य का केंद्र

मंदिर से सटी पराशर झील विशाल पहाड़ियों से घिरी एक अत्यंत शांत और मनमोहक जगह है।

  • रहस्यमय गहराई: इस झील की गहराई आज तक पता नहीं चल पाई है, जो इस प्राकृतिक स्थल को रहस्यमय बनाती है।
  • प्राकृतिक दृश्य: 2730 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह जगह पराशर झील, घने जंगल और धौलाधर के बर्फ से ढके हुए पहाड़ों का अभूतपूर्व दृश्य प्रदान करती है। दिसंबर से फरवरी के बीच यहाँ बर्फबारी भी देखने को मिल सकती है, जो नए साल के पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होती है।
  • सर्नौहाली मेला: जून के महीने में यहाँ पर सर्नौहाली मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें मंडी और कुल्लू जिलों के बड़ी संख्या में स्थानीय लोग हिस्सा लेते हैं।

पहुंच मार्ग और पर्यटन

पराशर मंदिर दिल्ली से 430 किलोमीटर और चंडीगढ़ से 178 किमी की दूरी पर स्थित है।

  • सड़क मार्ग: मंडी शहर से पराशर झील लगभग 50 किलोमीटर दूर है। सड़कें खड़ी और संकरी होने के कारण एचआरटीसी बस या टैक्सी से पहुंचने में 2 से 3 घंटे लग सकते हैं।
  • रेल और वायु मार्ग: मंडी के लिए कोई सीधी ट्रेन नहीं है। निकटतम रेलवे स्टेशन चंडीगढ़ है, जहाँ से बस या टैक्सी ली जा सकती है। निकटतम हवाई अड्डा कुल्लू का भुंतर हवाई अड्डा है, जहाँ से टैक्सी ली जा सकती है।

पराशर मंदिर वास्तुकला, आस्था और प्रकृति के शानदार संगम के लिए हिमाचल प्रदेश के पर्यटन मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

Uma Pathak

Uma Pathak

About Author

उमा पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मास कम्युनिकेशन में स्नातक और बीएचयू से हिन्दी पत्रकारिता में परास्नातक किया है। पाँच वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली उमा ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उमा पत्रकारिता में गहराई और निष्पक्षता के लिए जानी जाती हैं।

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