द लोकतंत्र: नींद सिर्फ आराम के लिए नहीं होती, बल्कि यह शरीर और दिमाग को रिपेयर करने का काम भी करती है। लेकिन अक्सर लोग थकान या आदत के चलते पेट के बल सो जाते हैं। शुरुआत में यह आरामदायक लग सकता है, लेकिन लंबे समय तक इस पोजीशन में सोने से शरीर को गंभीर नुकसान हो सकते हैं।
रीढ़ की हड्डी पर दबाव
पेट के बल सोने से स्पाइन पर सीधा दबाव पड़ता है। इससे उसकी नैचुरल कर्व बिगड़ने लगती है। नतीजतन पीठ दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव और समय के साथ स्लिप डिस्क जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
गर्दन और कंधों में दर्द
पेट के बल सोते समय सांस लेने के लिए सिर को साइड में घुमाना पड़ता है। यह आदत गर्दन की मांसपेशियों पर दबाव डालती है। सुबह उठने पर अकड़न, दर्द और सिरदर्द महसूस होना आम है। कंधों में भी जकड़न की समस्या हो सकती है।
चेहरे पर झुर्रियां और पिंपल्स
इस पोजीशन में चेहरा तकिए से चिपक जाता है। इससे स्किन पर लगातार रगड़ होती है, जिसके कारण समय से पहले झुर्रियां आ सकती हैं। ऑयली स्किन वालों में पिंपल्स और एलर्जी का खतरा भी बढ़ जाता है।
पाचन तंत्र पर असर
पेट के बल सोने से पेट पर दबाव पड़ता है। इससे गैस, अपच और एसिडिटी की समस्या हो सकती है। लंबे समय तक ऐसा करने से एसिड रिफ्लक्स और गैस्ट्रिक प्रॉब्लम की संभावना बढ़ जाती है।
गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक
गर्भावस्था में पेट के बल सोना बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। यह मां और बच्चे दोनों के लिए खतरा पैदा कर सकता है। इससे गर्भाशय पर दबाव बढ़ता है और भ्रूण के विकास पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
बेहतर विकल्प क्या है?
डॉक्टरों के अनुसार सोने की सबसे अच्छी मुद्रा पीठ के बल (On Back) या बाईं करवट (On Left Side) होती है। इससे स्पाइन पर दबाव नहीं पड़ता, पाचन बेहतर रहता है और नींद गहरी आती है।
Sleeping on Stomach यानी पेट के बल सोना शुरुआत में भले ही आरामदायक लगे, लेकिन यह लंबे समय में गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए सोने की मुद्रा को सुधारना बेहद जरूरी है।