द लोकतंत्र : छत्तीसगढ़ की विष्णु देव साय सरकार ने राज्य के बहुचर्चित 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से सबक लेते हुए आबकारी व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव किए हैं। पिछली सरकार के दौरान नकली होलोग्राम के सहारे समानांतर शराब बिक्री के सिंडिकेट को ध्वस्त करने के लिए अब ‘हाई-सिक्योरिटी होलोग्राम’ का सहारा लिया जा रहा है। विशेष बात यह है कि इन होलोग्रामों की छपाई किसी निजी वेंडर के बजाय महाराष्ट्र के नासिक स्थित भारत सरकार के ‘नोट प्रिंटिंग प्रेस’ में कराई जा रही है, जिससे जालसाजी की गुंजाइश शून्य हो गई है।
7-लेयर तकनीक का इस्तेमाल
आबकारी विभाग के अनुसार, नए होलोग्राम अत्यंत जटिल सुरक्षा मानकों पर आधारित हैं।
- डुप्लीकेट बनाना असंभव: ये होलोग्राम सात परतों (7 Layers) से निर्मित हैं। इसमें ऐसे सुरक्षा चिह्न दिए गए हैं जिन्हें साधारण प्रिंटिंग मशीनों से कॉपी नहीं किया जा सकता। यदि कोई नकली होलोग्राम बनाने का प्रयास करता है, तो विभाग के डिजिटल स्कैनर उसे तत्काल पकड़ लेंगे।
- वित्तीय मॉडल: राज्य सरकार प्रतिवर्ष इन होलोग्रामों पर लगभग 75 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। हालांकि, यह व्यय भार राजस्व पर नहीं पड़ता, क्योंकि बॉटलिंग कंपनियां होलोग्राम के लिए अग्रिम भुगतान सरकार के पास जमा करती हैं, जिसे बाद में नासिक प्रेस को हस्तांतरित किया जाता है।
टेंडर राज का अंत और सीधा अनुबंध
पिछली भूपेश बघेल सरकार में होलोग्राम मुद्रण के लिए टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाती थी, जिसे भ्रष्टाचार की मुख्य जड़ माना गया।
- सिंडिकेट का खात्मा: जांच में सामने आया था कि अधिकारी और कारोबारी मिलकर अपनी पसंदीदा कंपनियों को टेंडर दिलाते थे, जो बाद में नकली होलोग्राम छापकर अवैध बिक्री में मदद करती थीं।
- G2G मॉडल: वर्तमान सरकार ने टेंडर सिस्टम को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। अब आबकारी विभाग सीधे केंद्र सरकार की इकाई को ऑर्डर देता है। इस पारदर्शिता से बिचौलियों की भूमिका खत्म हो गई है।
नासिक प्रिंटिंग प्रेस की विश्वसनीयता
भारत में मुद्रा नोटों की छपाई के लिए केवल चार स्थान अधिकृत हैं—नासिक, देवास, मैसूर और सालबोनी।
- सुरक्षा का स्तर: नासिक और देवास के प्रेस प्रतिभूति मुद्रण एवं मुद्रा निर्माण निगम (SPMCIL) के अधीन हैं। इन संस्थानों की अति-सुरक्षित प्रणाली में तैयार होलोग्राम छत्तीसगढ़ सरकार के राजस्व को सुरक्षित करने में मील का पत्थर सिद्ध होंगे।
निष्कर्षतः, विष्णु देव साय सरकार का यह कदम न केवल राजस्व चोरी रोकेगा, बल्कि उपभोक्ताओं को असली और मानक शराब की उपलब्धता भी सुनिश्चित करेगा। भविष्य में यह मॉडल अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।

