द लोकतंत्र: उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण के आरोपी छांगुर के खिलाफ एटीएस (ATS) और ईडी (ED) की संयुक्त जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जांच एजेंसियों ने पाया कि छांगुर ने विदेशों से आए फंड का इस्तेमाल कर प्रदेश के विभिन्न जिलों में जमीन खरीदी, प्लॉटिंग की और अवैध रूप से उन्हें बेचकर करोड़ों रुपये का मुनाफा कमाया।
सूत्रों के अनुसार, छांगुर ने देवीपाटन मंडल को अपने नेटवर्क का मुख्य केंद्र बनाया था। इस नेटवर्क के तहत कई जिलों में जमीनें खरीदी गईं और बिना नियमानुसार प्रक्रिया अपनाए प्लॉटिंग कर दी गई। एटीएस और ईडी ने इस जमीन कारोबार की तह तक पहुंचने के लिए प्रदेश के 351 उपनिबंधक कार्यालयों को अलर्ट जारी कर दिया है। सभी रजिस्ट्री कार्यालयों को छांगुर और उसके 13 करीबियों के नाम भेजे गए हैं और उनके नाम से हुई सभी रजिस्ट्री और बैनामों की जानकारी मांगी गई है।
जिन लोगों की निगरानी की जा रही है, उनमें महबूब, नीतू उर्फ नसरीन, सबीहा, नवीन, मोहम्मद सबरोज, रशीद, रमजान (गोंडा), इदुल इस्लाम (नागपुर), राजेश उपाध्याय, संगीता देवी उपाध्याय और बाबू उर्फ वलीउद्दीन शामिल हैं।
बलरामपुर के उतरौला कस्बे में प्रशासन ने छांगुर की ओर से की जा रही अवैध प्लॉटिंग पर बड़ी कार्रवाई की है। तहसील प्रशासन ने पाया कि जमीन को धारा 80 के अंतर्गत आबादी घोषित कराए बिना ही प्लॉटिंग कर बेचा जा रहा था। छांगुर, उसका सहयोगी नवीन और महबूब, केवल एग्रीमेंट के आधार पर प्लॉट बेचकर मोटी कमाई कर रहे थे। इस पर अब तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है।
इसके साथ ही विवादित जमीनों का सर्वे भी शुरू कर दिया गया है। नीतू, नवीन और छांगुर से जुड़ी संपत्तियों की गहन जांच की जा रही है। अधिकारियों का मानना है कि इस कार्रवाई से धर्मांतरण से जुड़े बड़े भूमि घोटाले का पर्दाफाश संभव है।
जांच एजेंसियों के अनुसार, छांगुर के नेटवर्क ने धर्मांतरण के लिए आर्थिक संसाधन जुटाने का नया तरीका अपनाया था, जमीन की खरीद-बिक्री के जरिए। इससे प्राप्त फंड का इस्तेमाल धार्मिक गतिविधियों और विस्तार के लिए किया जा रहा था।
अब सभी संबंधित विभागों की निगरानी और कार्रवाई से उम्मीद है कि जल्द ही इस पूरे रैकेट की जड़ तक पहुंचा जा सकेगा।