द लोकतंत्र: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक युवक ने अपनी मां के अपमान का बदला लेने के लिए 10 साल बाद एक व्यक्ति की बेरहमी से हत्या कर दी। यह सनसनीखेज मामला उस वक्त खुला जब पुलिस ने एक हत्या की गुत्थी सुलझाते हुए सोशल मीडिया से सुराग जुटाया। आरोपी युवक सोनू कश्यप और उसके चार दोस्तों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
10 साल पुराना अपमान बना हत्या की वजह
घटना की शुरुआत 2015 में हुई थी, जब मनोज नामक शख्स का झगड़ा सोनू कश्यप की मां से हो गया था। उस वक्त सोनू केवल 11 साल का था और उसकी आंखों के सामने मनोज ने उसकी मां को थप्पड़ मार दिया था। यह घटना सोनू के दिल में घर कर गई और उसने उसी वक्त ठान लिया कि वह अपनी मां के अपमान का बदला जरूर लेगा।
सालों तक की मनोज की तलाश
इस घटना के बाद मनोज अपने किए की सजा से बचने के लिए इलाके से फरार हो गया। लेकिन सोनू ने हार नहीं मानी और सालों तक उसे ढूंढता रहा। आखिरकार साल 2025 में लखनऊ के मुंशी पुलिया चौराहे पर सोनू की नजर मनोज पर पड़ी, जो अब नारियल पानी की रेहड़ी चलाता था।
हत्या की साजिश और क्रूर वारदात
सोनू ने मनोज पर हमला करने से पहले उसके पूरे रूटीन पर नजर रखी और फिर अपने चार दोस्तों—रंजीत, आदिल, सलामू और रहमत अली—के साथ मिलकर हत्या की साजिश रची। 22 मई 2025 की रात, जब मनोज अपनी रेहड़ी बंद कर घर जा रहा था, तभी पांचों ने उस पर लोहे की रॉड और धारदार हथियारों से हमला कर दिया। कुछ ही मिनटों में मनोज की मौके पर ही मौत हो गई।
हत्या के बाद की शराब पार्टी और गिरफ्तारी
हत्या के बाद आरोपी सोनू और उसके दोस्तों ने एक सुनसान जगह पर इकट्ठा होकर शराब पार्टी की। यही नहीं, उन्होंने पार्टी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दीं। पुलिस जब हत्या की जांच कर रही थी, तो उसे सोशल मीडिया से यह सुराग मिला। इन पोस्ट्स के आधार पर पुलिस ने पांचों को गिरफ्तार किया और पूरे षड्यंत्र का खुलासा किया।
पुलिस की कार्रवाई और आरोपी का बयान
पूछताछ में सोनू ने पुलिस को बताया कि उसने अपनी मां की बेइज्जती का बदला लेने के लिए यह कदम उठाया। वर्तमान में सभी आरोपी जेल में बंद हैं और केस की कानूनी कार्रवाई जारी है।
यह मामला बताता है कि बचपन की घटनाएं इंसान के मन में कितनी गहराई तक असर डाल सकती हैं। न्याय की भावना जब निजी प्रतिशोध में बदल जाती है, तो उसका अंजाम कानून के उल्लंघन के रूप में सामने आता है। यह घटना समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि भावनाओं को किस हद तक नियंत्रण में रखना जरूरी है।