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Aniruddhacharya Statement on Live-In: लिव-इन पर बयान से घिरे अनिरुद्धाचार्य बोले- चरित्रवान संतान कैसे होगी?

द लोकतंत्र: वृंदावन के प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य हाल ही में लड़कियों और लिव-इन रिलेशनशिप पर दिए गए अपने बयानों को लेकर विवादों में घिर गए हैं। अब उन्होंने अपने बयानों पर सफाई दी है और उन्हें सही ठहराया है।

अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि, “जो लोग मेरे बयान का विरोध कर रहे हैं, उनसे पूछिए क्या लिव-इन रिलेशनशिप सही है? आज कोई लड़की या लड़का किसी के साथ है, कल किसी और के साथ, तो फिर शादी के बाद जन्म लेने वाले बच्चे का चरित्र कैसे मजबूत होगा?”

उन्होंने एक न्यूज चैनल से बातचीत में स्पष्ट किया कि वह स्त्रियों और पुरुषों दोनों के चरित्र पर बात करते हैं। उनका मानना है कि समाज में दोनों का चरित्रवान होना जरूरी है, तभी एक अच्छे संस्कारों वाली पीढ़ी का निर्माण हो सकता है।

“मीडिया ने बयान तोड़-मरोड़ कर पेश किया”
अनिरुद्धाचार्य ने मीडिया पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके बयानों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। “मीडिया ने मेरा पूरा कथन नहीं दिखाया, बल्कि आधा अधूरा बयान दिखाकर समाज को भड़काने का काम किया है।” उन्होंने दावा किया कि यह केवल अनिरुद्धाचार्य का नहीं, बल्कि समस्त संत समाज का विरोध है।

“हमने हजारों लोगों की शराब छुड़वाई”
उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने और प्रेमानंद जी ने सत्संग के माध्यम से लाखों लोगों को गुटखा, शराब और गलत आदतों से दूर किया है। लेकिन इससे कुछ न्यूज़ चैनल परेशान हो गए, क्योंकि इससे उनकी TRP और कमाई पर असर पड़ने लगा। इसी कारण उनके खिलाफ एक सोची-समझी साजिश के तहत यह अभियान चलाया गया।

अतीत में भी बयान पर हुआ विवाद
अनिरुद्धाचार्य का इससे पहले एक वीडियो समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव को लेकर भी वायरल हुआ था, जिसमें वह कृष्ण के पहले नाम पर बहस कर रहे थे। इसके बाद उनका लड़कियों के संबंधों पर बयान और फिर लिव-इन रिलेशनशिप पर विवादित टिप्पणी सामने आई, जिससे सोशल मीडिया पर उन्हें जमकर आलोचना झेलनी पड़ी।

अब देखना होगा कि क्या उनकी ये सफाई लोगों और आलोचकों को संतुष्ट कर पाएगी या फिर विवाद और गहराएगा।

Team The Loktantra

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लोकतंत्र की मूल भावना के अनुरूप यह ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां स्वतंत्र विचारों की प्रधानता होगी। द लोकतंत्र के लिए 'पत्रकारिता' शब्द का मतलब बिलकुल अलग है। हम इसे 'प्रोफेशन' के तौर पर नहीं देखते बल्कि हमारे लिए यह समाज के प्रति जिम्मेदारी और जवाबदेही से पूर्ण एक 'आंदोलन' है।

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