द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : छत्तीसगढ़ में नक्सल उन्मूलन के मोर्चे पर मिल रही बड़ी सफलताओं को लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में भेंट की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य में माओवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए चलाए जा रहे अभियानों और बस्तर अंचल में चल रहे समग्र विकास कार्यों की विस्तृत जानकारी गृह मंत्री को दी। बैठक में उपमुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री विजय शर्मा तथा मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध सिंह भी मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री साय ने बताया कि राज्य सरकार की नई रणनीति और केंद्र सरकार के सहयोग से नक्सलवाद के खिलाफ अभियान अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच चुका है। बीते डेढ़ वर्षों में किए गए सघन अभियानों के परिणामस्वरूप नक्सली संगठन को बड़ा नुकसान हुआ है। इस अवधि में कुल 1,428 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है, जो पिछले पाँच वर्षों की तुलना में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
गृहमंत्री शाह से साझा की नक्सल ऑपरेशंस की प्रगति रिपोर्ट
मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि इस दौरान 205 मुठभेड़ों में 427 माओवादी ढेर किए गए, जिनमें वामपंथी उग्रवाद के शीर्ष नेतृत्व से जुड़े नाम जैसे महासचिव बसवा राजू और सेंट्रल कमेटी सदस्य सुधाकर भी शामिल हैं। ये आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि माओवादी नेटवर्क की कमर अब टूट चुकी है।
राज्य में 64 नए फॉरवर्ड सुरक्षा कैंपों की स्थापना के बाद न केवल सुरक्षा तंत्र सुदृढ़ हुआ है, बल्कि इन इलाकों में विकास की बयार भी बहने लगी है। मुख्यमंत्री साय ने बताया कि इन कैंपों के इर्द-गिर्द बसे गांवों तक अब बिजली, पेयजल, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं तेजी से पहुँचाई जा रही हैं। इसके साथ ही ‘नियद नेल्लानार योजना’ के अंतर्गत 146 चिह्नित ग्रामों में एकीकृत रूप से 18 प्रकार की सामुदायिक सेवाएं और 25 शासकीय योजनाएं लागू की गई हैं। इन योजनाओं से ग्रामीणों का भरोसा शासन व्यवस्था में बढ़ा है और वे अब माओवाद के बहकावे से दूर हो रहे हैं।
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री द्वारा प्रस्तुत प्रगति रिपोर्ट की प्रशंसा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की सतत और साहसी रणनीति से राज्य में माओवादी गतिविधियों पर निर्णायक नियंत्रण संभव हो रहा है। उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार इस अभियान में हर संभव सहायता उपलब्ध कराती रहेगी। बता दें, छत्तीसगढ़ की यह रणनीति न सिर्फ आंतरिक सुरक्षा के लिहाज़ से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राज्य के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में स्थायी विकास और शांति स्थापना की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित हो रही है।