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SP Leader Azam Khan Release: आजम खान 23 महीने बाद सीतापुर जेल से रिहा, हाईकोर्ट से मिली जमानत

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द लोकतंत्र: समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान को आखिरकार बड़ी राहत मिली है। मंगलवार को वह सीतापुर जेल से रिहा हो गए। जेल प्रशासन ने उनकी रिहाई के लिए पहले से ही तैयारियां पूरी कर ली थीं। आजम खान लगभग 23 महीने से जेल में बंद थे और हाल ही में उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिली थी।

आजम खान पर आरोप था कि उन्होंने क्वालिटी बार (Quality Bar) नामक जगह पर कब्जा किया था। यह मामला वर्ष 2014 का है, लेकिन एफआईआर 2019 में दर्ज की गई थी। शुरुआत में इस एफआईआर में आजम खान का नाम शामिल नहीं था, बल्कि उनकी पत्नी और बेटे को आरोपी बनाया गया था। हालांकि, पांच साल बाद यानी 2024 में इस मामले की जांच शुरू हुई और उसी दौरान उनका नाम आरोपियों की सूची में जोड़ा गया। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर सीतापुर जेल भेज दिया गया था।

इस पूरे मामले में आजम खान की ओर से तर्क दिया गया कि जब घटना 2014 की थी तो 2019 तक एफआईआर दर्ज करने में इतनी देरी क्यों की गई। वहीं, अभियोजन पक्ष इस सवाल का कोई ठोस जवाब नहीं दे पाया। यही वजह रही कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आजम खान की जमानत याचिका को मंजूर कर लिया। इससे पहले 17 मई 2025 को रामपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

आजम खान और उनके परिवार पर जमीन हड़पने, धोखाधड़ी, धमकी और अन्य आपराधिक मामलों से जुड़े करीब 200 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। इनमें से अकेले आजम खान पर 100 से ज्यादा मामले दर्ज बताए जाते हैं। माना जाता है कि ज्यादातर मुकदमे 2017 में उत्तर प्रदेश में सपा सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद दर्ज किए गए। हालांकि, हाल के दिनों में अदालतों से उन्हें कई मामलों में राहत भी मिल चुकी है।

राजनीतिक तौर पर देखा जाए तो आजम खान समाजवादी पार्टी के सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिने जाते हैं। उनकी रिहाई को सपा समर्थक बड़ी राजनीतिक जीत के तौर पर देख रहे हैं। यह भी माना जा रहा है कि आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में उनकी सक्रियता पार्टी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

आजम खान की रिहाई से जहां उनके समर्थकों में खुशी की लहर है, वहीं विपक्ष ने इस पर अलग-अलग प्रतिक्रिया दी है। फिलहाल उनकी जमानत को लेकर राजनीति गरमा गई है और आने वाले दिनों में इस पर और बयानबाज़ी देखने को मिल सकती है।

Team The Loktantra

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लोकतंत्र की मूल भावना के अनुरूप यह ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां स्वतंत्र विचारों की प्रधानता होगी। द लोकतंत्र के लिए 'पत्रकारिता' शब्द का मतलब बिलकुल अलग है। हम इसे 'प्रोफेशन' के तौर पर नहीं देखते बल्कि हमारे लिए यह समाज के प्रति जिम्मेदारी और जवाबदेही से पूर्ण एक 'आंदोलन' है।

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