द लोकतंत्र : पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई की गई। शीर्ष अदालत में पतंजलि की तरफ़ से बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण पेश हुए। बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट से पुनः बिना शर्त माफी मांगी। दोनों के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट से कहा कि हम सार्वजनिक माफी के लिए तैयार हैं, ताकि लोगों को भी जानकारी मिले कि हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन को लेकर गंभीर हैं। बाबा रामेदव ने कहा कि हमें कानून का ज्ञान कम है। हम सिर्फ अपने रिसर्च की जानकारी लोगों को दे रहे थे। कोर्ट की अवहेलना का उद्देश्य बिलकुल नहीं था।
बाबा रामदेव ने कहा कि, हमें कानून की जानकारी कम है
कोर्ट में बाबा रामेदव ने कहा कि हमें कानून का ज्ञान कम है। हम सिर्फ अपने रिसर्च की जानकारी लोगों को दे रहे थे। कोर्ट की अवहेलना का उद्देश्य नहीं था। रामदेव की दलील पर जज ने कहा कि आप लाइलाज बीमारियों की दवा का दावा करते हैं। कानूनन ऐसी बीमारियों की दवा का प्रचार नहीं होता। अगर आपने दवा बनाई तो कानूनी प्रक्रिया के मुताबिक उसे सरकार को बताते, उस पर आगे काम होता। इस पर बाबा रामदेव ने कहा कि हम उत्साह में अपनी दवा की लोगों को जानकारी दे रहे थे। यहां कोर्ट में इस तरह खड़ा होना मेरे लिए भी अशोभनीय है। हम भविष्य में पालन करेंगे।
कोर्ट की फटकार, कहा – हम यह देखेंगे कि आपके माफीनामे को हम स्वीकार करें या नहीं
बता दें, पतंजलि विज्ञापन केस में मंगलवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच के सामने बाबा रामदेव और बालकृष्ण तीसरी बार पेश हुए। बाबा रामदेव के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, हम कोर्ट से एक बार फिर माफी मांगते हैं। हमें पछतावा है। हम जनता में माफी मांगने को तैयार हैं। हालाँकि कोर्ट ने कहा कि वो बाबा रामदेव को सुनना चाहते हैं। जस्टिस कोहली ने कहा, आपने (रामदेव) योग के लिए बहुत कुछ किया है। आपका सम्मान है। जस्टिस कोहली ने आगे कहा कि हम यह नहीं मान सकते कि आपके वकीलों के कोर्ट में अंडरटेकिंग दाखिल करने के बाद भी आपको कानून का पता नहीं चल पाया। इसलिए हम यह देखेंगे कि आपके माफीनामे को हम स्वीकार करें या नहीं।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से 17 अगस्त 2022 को दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही है। इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया। वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा भी किया।
माफीनामे की टाइमलाइन
हालाँकि, इस मामले में बाबा रामदेव की तरफ से 2 अप्रैल को पहली बार जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच में माफीनामा दिया गया था। लेकिन बेंच ने पतंजलि को फटकार लगाते हुए कहा था कि ये माफीनामा महज़ खानापूर्ति के लिए है। आपके अंदर माफी का भाव नहीं दिख रहा। इसके बाद कोर्ट ने 10 अप्रैल को सुनवाई की तारीख तय की थी।
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10 अप्रैल की सुनवाई से ठीक एक दिन पहले 9 अप्रैल को भी बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण की तरफ़ से नया एफिडेविट फाइल किया गया था। इसमें पतंजलि ने बिना शर्त माफी मांगते हुए कहा कि इस गलती पर उन्हें खेद है और ऐसा दोबारा नहीं होगा। कोर्ट ने 10 अप्रैल की सुनवाई में भी बाबा रामदेव और बालकृष्ण के दूसरे माफीनामे को भी खारिज किया था और फटकार लगायी थी।