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प्रधानमंत्री मोदी ने कई बार उठाया ‘चरित्र की पवित्रता’ पर सवाल, लेकिन मनमोहन सिंह का किरदार हमेशा महकता रहा

Prime Minister Modi has raised questions on 'purity of character' many times, but Manmohan Singh's character has always remained fragrant

द लोकतंत्र/ सुदीप्त मणि त्रिपाठी : अपने किरदार से महकता है हर इंसान, चरित्र को पवित्र करने के लिए कोई इत्र नहीं आता। यह पंक्तियाँ देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह पर सटीक बैठती हैं। दरअसल, देश के आर्थिक सुधारों के प्रणेता और सादगी भरे नेतृत्व के प्रतीक, देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात निधन हो गया। डॉ. मनमोहन सिंह को यक़ीनन एक ऐसे नेता के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने राजनीति में संयम, धैर्य और शालीनता का एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। उनके कार्यकाल में न सिर्फ़ भारतीय अर्थव्यवस्था ने कई बड़े बदलाव देखे, बल्कि वैश्विक मंच पर भी भारत की साख को नई ऊंचाई मिली।

रेनकोट पहनकर बाथरूम में नहाने जैसी ओछी राजनीतिक टिप्पणियों के बावजूद, मनमोहन सिंह ने अपने आचरण से राजनीति में गरिमा और शालीनता को बनाए रखा। डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त किया। पीएम मोदी ने मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि भारत अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक डा. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक मना रहा है। साधारण पृष्ठभूमि से उठकर वह एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री बने।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि उन्होंने वित्त मंत्री सहित विभिन्न सरकारी पदों पर कार्य किया और वर्षों तक हमारी आर्थिक नीति पर अपनी गहरी छाप छोड़ी। संसद में उनके हस्तक्षेप भी बहुत ही व्यावहारिक थे। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए।

केवल वह ही रेनकोट पहनकर बाथरूम में नहा सकते हैं

हालाँकि, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी प्रशंसा करते हुए उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था और राजनीति का स्तंभ बताया। पीएम मोदी ने उनके योगदान को देश के लिए अहम बताते हुए गहरा शोक व्यक्त किया। लेकिन यह प्रशंसा प्रधानमंत्री मोदी के उन पूर्व बयानों के बरक्स खड़ी होती है, जिनमें उन्होंने मनमोहन सिंह पर तीखे राजनीतिक प्रहार किए थे।

दरअसल, 2017 में राज्यसभा में पीएम मोदी ने कहा था, डॉ. मनमोहन सिंह जैसे व्यक्ति ने 35 साल तक देश की सेवा की और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का दाग तक नहीं लगा। केवल वह ही रेनकोट पहनकर बाथरूम में नहा सकते हैं। यह टिप्पणी यूपीए सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर थी।

यही नहीं, पीएम मोदी ने मनमोहन सिंह को “मौनमोहन सिंह” तक कहा। यह इंगित करते हुए कि वे अक्सर सार्वजनिक मंचों पर बोलने से बचते थे और कई मुद्दों पर उनकी चुप्पी को उनकी कमजोरी के रूप में पेश किया। इसके अलावा उन्होंने डॉ मनमोहन सिंह के बयान को भी तोड़ मरोड़ कर पेश किया था जिसमें एक रैली के दौरान पीएम ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक बयान का हवाला देते हुए कहा था, ये अर्बन नक्सल वाली सोच….मेरी माताओ-बहनों ये आपका मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे। इस हद तक चले जाएंगे।

पीएम मोदी ने यह भी कहा था कि मनमोहन सिंह, जो एक प्रख्यात अर्थशास्त्री हैं, उनके नेतृत्व में देश की आर्थिक स्थिति खराब हुई और यह विरोधाभास उनके नेतृत्व की नाकामी को दर्शाता है।

समाजसेवी व उद्योगपति रणजीत सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी के दोहरे रवैये पर उठाया सवाल

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई सराहना पर समाजसेवी और उद्योगपति रणजीत सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने पीएम मोदी पर दोहरे रवैये का आरोप लगाते हुए कहा कि मनमोहन सिंह के जीवनकाल में लगातार उनकी नीतियों और नेतृत्व पर हमला करने वाले अब उनके निधन के बाद उनकी प्रशंसा कर रहे हैं। यह राजनीतिक अवसरवादिता का स्पष्ट उदाहरण है।

रणजीत सिंह ने कहा, डॉ. मनमोहन सिंह एक महान अर्थशास्त्री और सादगी भरे नेता थे। उन्होंने देश को आर्थिक संकट से उबारा और वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को मजबूत किया। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनके योगदान को जीवनकाल में बार-बार नकारा गया। प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में उन पर कटाक्ष किए, उन्हें ‘रेनकोट पहनकर बाथरूम में नहाने वाला’ कहा और उनके नेतृत्व को कठघरे में खड़ा किया। आज वही प्रधानमंत्री उनके योगदान की प्रशंसा कर रहे हैं। यह दोहरा मापदंड नहीं तो और क्या है?

उन्होंने सवाल उठाया कि जब डॉ. सिंह के योगदान और व्यक्तित्व का इतना सम्मान है, तो उनके जीवनकाल में उनके प्रति इस तरह का व्यवहार क्यों किया गया? इसके अलावा उन्होंने मीडिया के चरित्र पर भी सवाल उठाया और कहा कि मीडिया को इतना भी बिकाऊ नहीं होना चाहिए कि वह देश की जनता के समक्ष अपनी साख खो दे। उन्होंने कहा कि, मीडिया को सियासतदानों का टूल किट नहीं होना चाहिए।

मैंने 10 साल में जो किया है, उसका मूल्यांकन इतिहास करेगा : मनमोहन सिंह

2004 से 2014 तक लगातार 10 वर्षों तक देश के प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में विपक्ष और मीडिया के तीखे हमलों का सामना करते रहे। डॉ. मनमोहन सिंह, जिन्हें उनकी ईमानदारी और सादगी भरे व्यक्तित्व के लिए जाना जाता है, ने प्रधानमंत्री के रूप में अपनी अंतिम प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपने दिल की बात साझा की थी। उनके शब्दों में उनकी व्यथा और आत्मविश्वास साफ झलक रहा था। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था, मैंने 10 साल में जो किया है, उसका मूल्यांकन इतिहास करेगा। इतिहासकार मेरे प्रति मीडिया और विपक्ष से कहीं अधिक उदार होंगे।

Sudeept Mani Tripathi

Sudeept Mani Tripathi

About Author

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से हिंदी पत्रकारिता में परास्नातक। द लोकतंत्र मीडिया फाउंडेशन के फाउंडर । राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर लिखता हूं। घूमने का शौक है।

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