द लोकतंत्र/ हिमांशु दूबे : भारत, जो सदा से भाषाओं के मामले में बेहद समृद्ध देश रहा है, आज वैश्विक परिदृश्य में न केवल अपनी क्षेत्रीय भाषाओं के लिए बल्कि विदेशी भाषाओं के प्रति भी बढ़ती रुचि के लिए जाना जा रहा है। वर्तमान में, विश्व तेजी से ग्लोबलाइजेशन की ओर अग्रसर हो रहा है। इसे ऐसे समझिए, गाँवों में इंटरनेट की पहुँच ने हरियाणा के एक हिन्दी भाषी लड़के को चिली की स्पैनिश लड़की से जोड़ दिया और दोनों ने देश की सीमाओं को लांघकर एक दूसरे को अपना जीवनसाथी चुन लिया। वहीं दूसरी ओर, वृंदावन और रशिया भी भाषायी बाधा को पार कर एक दूसरे से जुड़ कर एक हो गये। स्पष्ट है, विदेशी भाषाओं का ज्ञान और उनका समझ होना न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए बल्कि करिअर की संभावनाओं को बूस्ट देने के लिए भी बेहद अहम हो चुका है।
विदेशी भाषाओं की बढ़ती मांग
करिअर के दृष्टिकोण से देखा जाये आधुनिक भारत में विदेशी भाषाओं के जानकारों की मांग बढ़ती जा रही है। इसके कई कारण हैं, जिनमें मुख्य रूप से पर्यटन, अनुवाद, कॉल सेंटर्स में विदेशी ग्राहकों की समस्याओं के निदान, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में संवाद, विदेशी मीडिया के लिए लिखने और संपादन कार्य जैसे क्षेत्रों में अपार संभावनाओं का होना शामिल हैं। विदेशी भाषाओं के जानकार जहां आज मल्टीनेशनल कंपनियों में उच्च पदों पर काम कर रहे हैं, वहीं बाक़ी क्षेत्रों में भी माँग बनी हुई है।
विदेशी भाषाओं की जानकारी होना एक नई क्रांति की तरह है, जहां आज के युवा न केवल अंग्रेज़ी में दक्षता प्राप्त कर रहे हैं, बल्कि अन्य विदेशी भाषाओं जैसे फ़्रेंच, जर्मन, कोरियाई, स्पैनिश, और मैडरिन में भी अपनी रुचि दिखा रहे हैं। यह रुचि न केवल उन्हें वैश्विक स्तर पर करिअर के अवसर प्रदान करती है बल्कि उनका व्यक्तिगत और पेशेवर विकास भी सुनिश्चित करती है।
छात्रों की बढ़ती अभिरुचि
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में मीडिया की पढ़ाई करते हुए मैंने यह पाया कि हमारे बहुत से साथी पत्रकारिता की पढ़ाई के साथ साथ विदेशी भाषाओं को भी सीख रहे हैं। मेरे कई दोस्त ग्रेजुएशन के साथ-साथ विदेशी भाषाओं में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स कर रहे हैं। उनके दोस्तों में परवेज़ मैडरिन, सुप्रिया कोरियन, और फ़ैज़ फ़्रेंच सीख रहे हैं। इसके अलावा जिशान, माजिद, नितिन और अनिरुद्ध भी फ़्रेंच सीख रहे हैं। साथ ही कुछ ऐसे छात्र भी हैं जो किसी अन्य विषय से स्नातक कर रहे हैं, लेकिन रुचि के अनुसार अतिरिक्त विदेशी भाषाएं भी पढ़ रहे हैं।
छात्रों के बीच विदेशी भाषाओं को लेकर गंभीरता यह साफ तौर पर दिखाता है कि छात्र अब एक से अधिक भाषा में दक्षता प्राप्त करना चाहते हैं। वे समझ रहे हैं कि आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में केवल एक भाषा का ज्ञान होना पर्याप्त नहीं है। विदेशी भाषाओं की समझ और जानकारी उनके लिए कई क्षेत्रों में संभावनाओं के द्वार खोलता है, साथ ही उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करिअर बनाने की राह आसान बनाता है।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में भी होती है विदेशी भाषाओं की पढ़ाई
जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के विदेशी भाषा विभाग विदेशी भाषाओं की पढ़ाई का एक प्रमुख केंद्र है। यहां मुख्य रूप से स्पैनिश और लैटिन अमेरिकी भाषा में बीए (ऑनर्स), फ़्रेंच, कोरियन और टर्किश भाषा में बीए (ऑनर्स) की पढ़ाई होती है। इसके अलावा, छात्रों को यह सुविधा भी मिलती है कि वे किसी अन्य कोर्स के साथ अतिरिक्त पेपर के रूप में विदेशी भाषाओं की पढ़ाई कर सकते हैं, जिनमें फ़्रेंच, मैडरिन जैसी भाषाएं शामिल हैं।
यह संस्थान छात्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार कर रहा है, जहां वे न केवल भारत बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना सकें। विश्वविद्यालय के विदेशी भाषा विभाग के अनुभव और शिक्षा पद्धति ने छात्रों के अंदर भाषा के प्रति गहरी रुचि और समझ विकसित की है, जो उनके व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन दोनों में बेहद महत्वपूर्ण है।
विदेशी भाषाओं का वैश्विक परिदृश्य में महत्व
वैश्वीकरण के इस युग में, जब दुनिया छोटी होती जा रही है, भाषाओं का महत्व और भी बढ़ गया है। विदेशों के साथ व्यापार, संवाद, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए भाषा एक महत्वपूर्ण माध्यम है। फ़्रेंच, स्पैनिश, और मैडरिन जैसी भाषाओं का ज्ञान उन्हें उन देशों में रोजगार के अवसर प्रदान करता है, जहां इन भाषाओं का अनिवार्यता है।
विशेषकर मैडरिन, जो चीनी भाषा का एक प्रमुख रूप है, वैश्विक स्तर पर बड़ी तेजी से अपनी जगह बना रही है। लगभग 100 करोड़ लोग दुनिया भर में चीनी भाषा बोलते हैं, जिनमें से 70 प्रतिशत लोग मैडरिन का उपयोग करते हैं। यह विदेशी भाषा न केवल व्यापारिक संवाद के लिए बल्कि वैश्विक समझौते और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गई है।
विदेशी भाषाओं में रोजगार की संभावनाएं
भारत में विदेशी भाषाओं की बढ़ती मांग के चलते छात्रों के लिए रोजगार के कई नए दरवाजे खुल रहे हैं। वे दूतावासों, अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक संगठनों, मल्टीनेशनल कंपनियों, और अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों में काम कर सकते हैं। साथ ही, अनुवाद और टूर गाइड जैसे क्षेत्रों में भी विदेशी भाषाओं के जानकारों की मांग बढ़ती जा रही है।
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फ्रेंच, जर्मन, और कोरियाई भाषाओं के जानकार न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी उच्च पदों पर काम कर सकते हैं। इसके साथ ही, वे एयर होस्टेस, टूर गाइड, और अनुवादक के रूप में भी अपने करिअर को उड़ान दे सकते हैं। विदेशी भाषाओं का ज्ञान आज के युवा को एक बहुआयामी व्यक्तित्व प्रदान करता है, जिससे वे न केवल रोजगार के नए अवसर पा सकते हैं बल्कि वैश्विक मंच पर अपनी पहचान भी बना सकते हैं।
विदेशी भाषाओं के प्रति छात्रों का दृष्टिकोण
जामिया के छात्रों से बात करने पर यह साफ दिखता है कि आज के युवा केवल हिंदी और अंग्रेजी तक सीमित नहीं रहना चाहते। वे चाहते हैं कि उनका ज्ञान बहुआयामी हो और वे अधिक से अधिक भाषाओं का ज्ञान प्राप्त करें। एक छात्र ने बताया, हमें केवल हिंदी और अंग्रेजी तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि विदेशी भाषाओं का ज्ञान भी होना चाहिए। इससे न केवल हमें रोजगार के नए अवसर मिलेंगे, बल्कि हमारा व्यक्तित्व भी बहुआयामी होगा।
विदेशी भाषाओं के शिक्षकों का भी मानना है कि छात्रों की इस बढ़ती रुचि से न केवल उनका व्यक्तिगत विकास होगा, बल्कि भारत के वैश्विक मंच पर उभरने में भी मदद मिलेगी।
भारतीय शिक्षा प्रणाली और विदेशी भाषाओं का महत्व
भारतीय शिक्षा प्रणाली में विदेशी भाषाओं का महत्व तेजी से बढ़ रहा है। जेएनयू और जामिया मिलिया इस्लामिया जैसे प्रमुख विश्वविद्यालयों में विदेशी भाषाओं का अध्ययन किया जा रहा है। इन संस्थानों में विदेशी भाषाओं का अध्ययन करने वाले छात्रों की संख्या में दिन-प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है। भारत सरकार भी इस दिशा में लगातार प्रयास कर रही है।
सरकार की नीतियों के तहत विदेशी भाषाओं की शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह एक सकारात्मक पहल है, जिससे भारतीय युवाओं को वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी। आज के समय में विदेशी भाषाओं का ज्ञान केवल एक अतिरिक्त स्किल नहीं रह गया है, बल्कि यह एक ज़रूरत बन गई है। विश्व के तेजी से बदलते आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य में विदेशी भाषाओं का ज्ञान न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए बल्कि वैश्विक स्तर पर रोजगार की संभावनाओं के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण हो गया है।