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ज्ञानपीठ विजेता विनोद कुमार शुक्ल से मिले मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, किया सम्मान

Chief Minister Vishnu Dev Sai met Jnanpith winner Vinod Kumar Shukla and honoured him

द लोकतंत्र : हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित लेखक विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने की घोषणा के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय रविवार को उनके रायपुर स्थित निवास पर पहुंचे और उन्हें शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री ने विनोद कुमार शुक्ल को शॉल-श्रीफल और बस्तर आर्ट का प्रतीक चिन्ह नंदी भेंट कर सम्मानित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि शुक्ल की रचनाएं न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि संपूर्ण भारतीय साहित्य के लिए गौरव का विषय हैं।

आपकी लेखनी ने हिंदी साहित्य को एक नई पहचान दी

मुख्यमंत्री ने विनोद कुमार शुक्ल से बातचीत के दौरान कहा कि यह सम्मान छत्तीसगढ़ की साहित्यिक धरोहर के प्रति देश की श्रद्धा को दर्शाता है। उन्होंने कहा, आपकी लेखनी ने हिंदी साहित्य को एक नई पहचान दी है। आपकी सादगीपूर्ण भाषा और गहरी विचारशीलता पाठकों को जीवन के सूक्ष्म पहलुओं से परिचित कराती है। यह पूरे प्रदेश के लिए गर्व का क्षण है कि छत्तीसगढ़ की माटी से निकला एक साहित्यकार देश के सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार से सम्मानित हो रहा है।

मुख्यमंत्री ने राजनांदगांव का भी विशेष रूप से उल्लेख किया, जहां से विनोद कुमार शुक्ल का गहरा नाता रहा है। उन्होंने कहा कि राजनांदगांव साहित्यिक परंपरा का केंद्र रहा है, जहां गजानन माधव मुक्तिबोध, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी और बलदेव प्रसाद मिश्र जैसे दिग्गज साहित्यकारों ने अपनी लेखनी के जरिए समाज को दिशा दी। इस पर शुक्ल ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा, मेरा जन्म राजनांदगांव में हुआ था। वह बचपन का नांदगांव आज भी मेरे मन में बसा हुआ है। जब भी वहां जाता हूं, तो वही पुरानी गलियां और लोग ढूंढने की कोशिश करता हूं, लेकिन समय के साथ बहुत कुछ बदल गया है।

छत्तीसगढ़ के पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता

88 वर्षीय विनोद कुमार शुक्ल छत्तीसगढ़ के पहले साहित्यकार हैं, जिन्हें ज्ञानपीठ सम्मान से नवाजा जा रहा है। उनकी रचनाएं अपने अनूठे लेखन शैली और चिंतनशीलता के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’, ‘नौकर की कमीज’ और ‘कभी के बाद अभी’ जैसी कालजयी रचनाएं दी हैं, जो हिंदी साहित्य की विरासत में अमूल्य योगदान मानी जाती हैं।

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मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर शुक्ल के परिवारजनों से भी मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि विनोद कुमार शुक्ल की साहित्य साधना नई पीढ़ी के लेखकों के लिए प्रेरणादायक है और उनका यह सम्मान छत्तीसगढ़ की साहित्यिक समृद्धि को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा।

Team The Loktantra

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