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Crime National

Asif Qureshi Murder: दिल्ली में हुमा कुरैशी के चचेरे भाई आसिफ की हत्या, पार्किंग विवाद बना वजह

द लोकतंत्र: दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके के जंगपुरा भोगल बाजार लेन में गुरुवार रात दिल दहला देने वाली घटना घटी, जब बॉलीवुड एक्ट्रेस हुमा कुरैशी के चचेरे भाई आसिफ कुरैशी की हत्या कर दी गई। यह हमला महज एक पार्किंग विवाद के चलते हुआ, लेकिन CCTV फुटेज से साफ है कि यह घटना कितनी गंभीर और अचानक थी।

मामूली बहस से बना खूनी झगड़ा
घटना के चश्मदीदों के मुताबिक, विवाद तब शुरू हुआ जब आसिफ ने स्कूटी को गेट से हटाकर साइड में लगाने की बात कही। यह बात दो युवकों, गौतम (18) और उज्जवल (19) को नागवार गुजरी और देखते ही देखते मामला हिंसक हो गया।

CCTV फुटेज में देखा गया कि पहले उज्जवल ने आसिफ पर हमला किया और फिर गौतम ने तेजधार हथियार से ताबड़तोड़ वार किए। फुटेज में यह साफ दिखता है कि हमलावरों ने कोई मौका नहीं छोड़ा।

बचाव की कोशिश, लेकिन नहीं बची जान
जब हमला हुआ, आसिफ की पत्नी और वहां मौजूद लोग उन्हें बचाने दौड़े, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। गंभीर रूप से घायल आसिफ को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

आरोपियों की पहचान और पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने दोनों आरोपियों की पहचान कर ली है। वे सगे भाई हैं और घटना के बाद फरार हो गए। पुलिस ने टीम बनाकर उनकी तलाश शुरू कर दी है। छापेमारी लगातार जारी है, और अधिकारियों को उम्मीद है कि जल्द ही दोनों को पकड़ लिया जाएगा।

परिवार का दावा: यह सोची-समझी साजिश थी
मृतक के रिश्तेदारों का कहना है कि यह हत्या पहले से तय साजिश का हिस्सा थी। आसिफ के एक रिश्तेदार जावेद ने बताया कि आरोपियों ने पहले भी दो बार जानबूझकर झगड़ा किया था। उनका दावा है कि आसिफ को टारगेट बनाकर मारा गया है।

CCTV फुटेज बना पुलिस के लिए अहम सबूत
जो CCTV वीडियो सामने आया है, वह पुलिस जांच में बेहद अहम भूमिका निभा रहा है। इसमें दोनों हमलावरों की गतिविधियां और हमला साफ नजर आ रहा है।

दिल्ली जैसे शहर में, जहां हजारों CCTV कैमरे और पुलिस चौकियां हैं, वहां पार्किंग जैसे मामूली विवाद में किसी की जान चली जाना बेहद चिंताजनक है। अब देखना यह है कि पुलिस कितनी जल्दी आरोपियों को पकड़कर पीड़ित परिवार को न्याय दिलाती है।

Team The Loktantra

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लोकतंत्र की मूल भावना के अनुरूप यह ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां स्वतंत्र विचारों की प्रधानता होगी। द लोकतंत्र के लिए 'पत्रकारिता' शब्द का मतलब बिलकुल अलग है। हम इसे 'प्रोफेशन' के तौर पर नहीं देखते बल्कि हमारे लिए यह समाज के प्रति जिम्मेदारी और जवाबदेही से पूर्ण एक 'आंदोलन' है।

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