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मानसून सत्र : अमित शाह के पत्र के जवाब में खरगे बोले – आपकी कथनी और करनी में अंतर

Mallikarjun Kharge

द लोकतंत्र : संसद के मानसून सत्र का आज 5वां दिन है। मानसून सत्र के दौरान मणिपुर मुद्दे को लेकर लोकसभा और राज्यसभा में गतिरोध जारी है। ऐसे में सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से चलाने और मणिपुर मुद्दे पर बहस के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दोनों सदनों के नेता प्रतिपक्ष को पत्र लिखकर आग्रह किया था।

गृह मंत्री अमित शाह के पत्र को संज्ञान में लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने पत्र के माध्यम से जवाब देते हुए कहा कि आपकी कथनी और करनी में अंतर है। इस पत्र के माध्यम से उन्होंने केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए हैं।

खरगे ने पत्र के माध्यम से पीएम मोदी की टिप्पणी की निंदा की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा विपक्षी दलों को दिशाहीन बताना बेतुका ही नहीं बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण भी है।

मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने पत्र में क्या लिखा है ?

मल्लिकार्जुन खरगे ने लिखा कि आपका लेटर मिला, जो तथ्यों के विपरित है। आपको ध्यान होगा कि मणिपुर में 3 मई के बाद की स्थिति पर I.N.D.I.A घटक दलों की लगातार मांग रही है कि पीएम मोदी सदन के पटल पर पहले अपना बयान दें, जिसके बाद दोनों सदनों में इस विषय पर विस्तृत बहस और चर्चा की जाए।

जिस तरह की गंभीर स्थिति पिछले 84 दिनों से मणिपुर में चल रही है और जिस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं। हम सभी राजनीतिक दलों से यह अपेक्षित है कि हम वहां पर तत्काल शांति बहाली के लिए तथा जनता को संदेश देने के लिए देश के सर्वोच्च सदन में कम से कम इतना तो करेंगे।

आपको पत्र में व्यक्त भावनाओं की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का अंतर हैं। सरकार का रवैया आपके पत्र के भाव के विपरित सदन में संवेदनशील और मनमाना रहा है। यह रवैया नहीं बल्कि पिछले कई सत्रों में भी विपक्ष को देखने को मिला है। छोटी घटनाओं को तिल का ताड़ बनाकर सदस्यों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है।

यह भी पढ़ें : पीएम मोदी ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच आईटीपीओ कन्वेंशन में पूजन-हवन किया

अपने पत्र में लिखा है कि एक ही दिन में आदरणीय प्रधानमंत्री देश के विपक्षी दलों को अंग्रेज शासकों और आतंकवादी दल से जोड़ते हैं और उसी दिन गृह मंत्री भावनात्मक पत्र लिखकर विपक्ष से सकारात्मक रवैये की अपेक्षा करते हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष में समन्वय का अभाव सालों से दिख रहा था, अब यह खाई सत्ता पक्ष के अंदर भी दिखने लगी है।

पीएम मोदी से हम सदन में आकर मणिपुर पर बयान देने का आग्रह कर रहे हैं, परंतु ऐसा लगता है कि उनका ऐसा करना उनके सम्मान को ठेस पहुंचाता है। हमारी इस देश की जनता के प्रति प्रतिबद्धता है और हम इसके लिए हर कीमत देंगे।

Team The Loktantra

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लोकतंत्र की मूल भावना के अनुरूप यह ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां स्वतंत्र विचारों की प्रधानता होगी। द लोकतंत्र के लिए 'पत्रकारिता' शब्द का मतलब बिलकुल अलग है। हम इसे 'प्रोफेशन' के तौर पर नहीं देखते बल्कि हमारे लिए यह समाज के प्रति जिम्मेदारी और जवाबदेही से पूर्ण एक 'आंदोलन' है।

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