द लोकतंत्र/ वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के करीब है और इसके लिए देश को अपने आर्थिक हितों के प्रति सजग रहना होगा। उन्होंने हाल ही में आई मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत 2028 तक तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन सकता है और 2035 तक इसका GDP 10.6 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।
पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि सरकार किसानों, लघु उद्योगों और युवाओं को रोजगार देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने महंगाई पर नियंत्रण, निर्यात में वृद्धि और ग्रामीण भारत के विकास को भारत की आर्थिक मजबूती के अहम संकेत बताया।
सरकार की राजस्व नीति प्रभावी, महंगाई दर में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज
सरकार की राजस्व नीति भी फल दे रही है। वित्त मंत्रालय के मुताबिक जुलाई 2025 में GST कलेक्शन 1.95 लाख करोड़ रुपये रहा, जो सालाना आधार पर 7.5% की वृद्धि है। लगातार सात महीने से GST वसूली 1.8 लाख करोड़ रुपये से ऊपर बनी हुई है। अप्रैल से जुलाई तक कुल कलेक्शन 8.18 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो 10.7% की सालाना बढ़त दर्शाता है।
महंगाई दर में भी ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई है। जून 2025 में CPI आधारित खुदरा महंगाई घटकर 2.10% पर आ गई है, जो जनवरी 2019 के बाद सबसे निचला स्तर है। सब्जी, अनाज, दूध और दालों जैसी जरूरी चीजों की कीमतों में गिरावट ने घरेलू उपभोग में राहत दी है।
RBI की मौद्रिक नीति ने दी अर्थव्यवस्था को गति
ग्रामीण भारत की आर्थिक स्थिति में भी सुधार दर्ज किया गया है। नाबार्ड के जुलाई 2025 के सर्वेक्षण में 76.6% ग्रामीण परिवारों ने उपभोग में वृद्धि बताई, जबकि 39.6% ने आय में बढ़ोतरी का अनुभव किया। ग्रामीण महंगाई 1.72% रह गई, जो एक साल पहले की तुलना में 394 आधार अंक कम है। FMCG सेक्टर की दिग्गज कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) ने भी बताया है कि ग्रामीण मांग में सुधार हुआ है और ई-कॉमर्स व क्विक कॉमर्स जैसे माध्यमों से छोटे शहरों में उपभोग तेजी से बढ़ रहा है।
RBI की मौद्रिक नीति ने भी अर्थव्यवस्था को गति दी है। जनवरी 2025 में रेपो रेट को घटाकर 5.5% कर दिया गया, जिससे लोन सस्ता हुआ और उपभोग व निवेश को बढ़ावा मिला। देश के निर्यात क्षेत्र में भी तेजी देखी गई है। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में भारत का निर्यात 5.94% बढ़कर 210.31 अरब डॉलर हो गया, जबकि सेवाओं का निर्यात 10.93% की वृद्धि के साथ 98.13 अरब डॉलर पर पहुंचा। चाय, मांस, पोल्ट्री, डेयरी, जूट और अनाज जैसे क्षेत्रों में भी निर्यात में उल्लेखनीय उछाल दर्ज हुआ है।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा में देश की स्थिति मजबूत
मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं ने इलेक्ट्रॉनिक्स और कृषि क्षेत्र में उत्पादन व निर्यात को बढ़ावा दिया है और आयात पर निर्भरता को कम किया है। इन प्रयासों से भारत का व्यापार संतुलन बेहतर हुआ है और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में देश की स्थिति मजबूत हुई है।
इन सभी संकेतकों के आधार पर स्पष्ट है कि भारत की आर्थिक नीतियाँ सशक्त हैं और वह तेजी से वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने की ओर अग्रसर है। तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में यह सफर देश की आंतरिक स्थिरता, सतर्क प्रशासनिक रणनीतियों और व्यापक सुधारों की देन है।