द लोकतंत्र : लोकसभा चुनाव 2024 में सबसे ख़राब प्रदर्शन बसपा का रहा। मायावती की पार्टी की साख और वोट शेयर का ग्राफ दोनों धराशाही हो गया। बसपा के कई प्रत्याशियों की जमानत जप्त हो गई। मायावती और उनकी पार्टी की सियासी अहमियत कम क्यों हुई और पार्टी शिखर से शून्य पर कैसे पहुँच गई यह लंबे विमर्श का विषय है। हालाँकि, मायावती ने चुनाव नतीजों को लेकर अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए हार का ठीकरा मुस्लिमों पर फोड़ दिया है।
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों पर बसपा प्रमुख मायावती ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने मुस्लिमों पर हार का ठीकरा फोड़ा है। मायावती ने कहा कि भविष्य में टिकट वितरण को लेकर सोच समझकर फैसला लेंगे। मायावती ने आरोप लगाते हुए कहा कि बहुजन समाज पार्टी का खास अंग मुस्लिम समाज उचित प्रतिनिधित्व देने के बावजूद भी बसपा को ठीक से नहीं समझ पा रहा है। तो अब ऐसी स्थिति में आगे इनको सोच समझकर ही चुनाव में पार्टी के द्वारा मौका दिया जाएगा। ताकि पार्टी को आगे भविष्य में इस बार की तरह भयंकर नुकसान न हो।
सबसे अधिक 35 मुस्लिम उम्मीदवार, फिर भी न बढ़ा जनाधार
मायावती ने उत्तर प्रदेश में कुल 35 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे हालाँकि उनका यह निर्णय उनकी पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए नाकाफ़ी साबित हुआ। यूपी में बीस फ़ीसदी मुस्लिम और 21 फ़ीसदी दलित मतदाता हैं लेकिन मायावती को दोनों वर्गों के मतदाताओं का साथ नहीं मिला और पार्टी शून्य पर सिमट गई।
बीते तीन लोकसभा चुनाव में यह दूसरी बार है जब बसपा का खाता तक नहीं खुल सका। इसके पहले 2014 में बसपा को लोकसभा में एक भी सीट नहीं मिली थी। हालाँकि, पिछले लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में अपने चिर प्रतिद्वंद्वी सपा के साथ गठबंधन करके बसपा ने 10 सीट जीती थी।
दलितों को मिला नया मसीहा, मायावती ने खोयी प्रासंगिकता
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अपनी प्रासंगिकता खो दी है। बसपा का वोट शेयर गिरा है। हालाँकि, इस चुनाव में दलितों को अपना नया मसीहा भी मिल गया है। आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के मुखिया चंद्रशेखर ने नगीना सीट पर ऐतिहासिक जीत दर्ज कर अपना सियासी क़द बढ़ा लिया है। चंद्रशेखर का उभार और बसपा के पतन ने दलितों को आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) की तरफ़ मोड़ दिया है।
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चंद्रशेखर ने नगीना (आरक्षित) सीट पर डेढ़ लाख से ज़्यादा वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है। यह जीत दलित वोटों में स्पष्ट बदलाव का संकेत है। जबकि इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार सुरेंद्र पाल सिंह को महज़ 13272 वोट ही मिले।