द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : पाकिस्तान की पहचान अब ‘आतंकिस्तान’ से ज्यादा कुछ नहीं रह गई है। दशकों से आतंकी संगठनों को पनाह देने वाला यह मुल्क न केवल दक्षिण एशिया बल्कि पूरी दुनिया की शांति के लिए एक स्थायी ख़तरा बन चुका है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चाहे पाकिस्तान खुद को निर्दोष और आतंकवाद के खिलाफ लड़ने वाला देश बताए, लेकिन हकीकत यही है कि उसकी अपनी धरती से ही आतंक के बीज बोए जा रहे हैं और आतंकियों को VIP ट्रीटमेंट मिलता है। हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों को यहां संसाधन, शरण और प्रशिक्षण सब Top Notch मिलता है।
लेकिन बीते कुछ वर्षों में पाकिस्तान में कुछ ऐसा घट रहा है जो खुद वहां की सत्ता और सुरक्षा तंत्र की नींद उड़ाए हुए है। बीते कुछ सालों में एक के बाद एक टॉप आतंकियों की हत्या किन्ही अज्ञात हमलावरों द्वारा की जा रही है। इन हत्याओं की न तो किसी संगठन ने जिम्मेदारी ली, न ही किसी देश ने कोई बयान दिया। पर, घटनाओं की टाइमिंग, रणनीति और इम्प्लिमेंटेशन यह दर्शाती है कि यह कोई आम आपराधिक घटनाएँ नहीं, बल्कि किसी बेहद संगठित और सटीक इंटेलिजेंस-आधारित मिशन का हिस्सा हैं।
वह टॉप आतंकी जिनकी अज्ञात हमलावरों ने कर दी हत्या
इस कड़ी में सबसे चर्चित मामला कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का है, जिसे गुरुद्वारे की पार्किंग में दो नकाबपोश हमलावरों ने सरेआम गोली मारी और मौके से फरार हो गए। निज्जर न सिर्फ भारत की वांटेड लिस्ट में शामिल था, बल्कि वह ‘सिख फॉर जस्टिस’ जैसे भारत-विरोधी संगठनों का सक्रिय चेहरा भी था। इसी तरह परमजीत सिंह पंवड़ जो पाकिस्तान में ISI की छत्रछाया में पनप रहा था उसे भी लाहौर में गोली मार दी गई।
इससे पहले हिजबुल कमांडर बशीर अहमद पीर, अल कायदा से जुड़े एजाज अहंगर, और अल बद्र के पूर्व चीफ सैयद खालिद रजा की रहस्यमयी हत्याएं पाकिस्तान और अफगानिस्तान की ज़मीन पर हो चुकी हैं। इन सभी हत्याओं में एक समानता है और वह है कि हमलावरों की कहीं कोई पहचान नहीं, न CCTV में चेहरा, न मोबाइल लोकेशन, और न कोई सुराग। लेकिन हमला ऐसा जैसे मिलिट्री प्रिसिशन के साथ किसी एलीट कमांडो यूनिट ने अंजाम दिया हो।
सवाल गहरे, कौन हैं ये सीक्रेट काउंटर-टेरर यूनिट
अब सवाल ये है कि क्या यह किसी देशभक्त छाया संगठन की जवाबी कार्रवाई है? क्या यह ‘एक्शन विदाउट क्लेम’ की नीति पर आधारित कोई सीक्रेट काउंटर-टेरर यूनिट है जो आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए सीमाओं की परवाह नहीं कर रही?
आतंकी देश पाकिस्तान के लिए यह एक दोहरी चुनौती है। एक ओर उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी साख बचानी है, दूसरी ओर उसकी धरती पर आतंकियों को मिल रही सज़ा पर चुप्पी उसे असहाय और कमजोर दर्शा रही है। अगर यह कोई विदेशी एजेंसी कर रही है, तो यह दिखाता है कि पाकिस्तान की जमीन अब किसी के लिए भी सुरक्षित नहीं न आतंकियों के लिए, न उन्हें बचाने वालों के लिए।
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वहीं, दूसरी तरफ़ भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ इसे ‘न्यू एज वॉरफेयर’ का हिस्सा मानते हैं जहां कोर्ट, कूटनीति और बयानबाज़ी की बजाय सीधे सर्जिकल एक्शन से आतंक का सिर कुचला जा रहा है। यह घटनाएं एक बड़ी वैश्विक कांस्पिरेसी थ्योरी को जन्म देती हैं, क्या दुनिया में अब आतंक के चेहरों से से निपटने के लिए परदे के पीछे से वार करने वाली ताकतों को बढ़ावा दे रही है? या फिर, क्या यह भारत के ‘घोस्ट ऑपरेशन’ का हिस्सा है? क्या कोई अनऑफिशियल एजेंसी या देशभक्तों का स्लीपर सेल दुनिया भर में आतंक के सिर काटने निकल पड़ा है? या फिर यह किसी राष्ट्र का ‘साइंटिफिक रीवेंज़’ है, जो अब कोर्ट या डिप्लोमैसी पर नहीं, बुलेट्स पर यकीन करता है?