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मुंबई में ‘डिजिटल अरेस्ट’ का बड़ा साइबर फ्रॉड: 80 वर्षीय महिला से 1.08 करोड़ की ठगी

Mumbai: 80-year-old woman duped of Rs 1.08 crore by 'Digital Arrest' cyber fraud

द लोकतंत्र/ मुम्बई : मुंबई में सामने आया यह साइबर अपराध एक बार फिर चेतावनी देता है कि डिजिटल ठगी के तरीके कितने अधिक परिष्कृत और खतरनाक होते जा रहे हैं। 80 वर्षीय महिला को ठगों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसी नकली अवधारणा का डर दिखाकर 1.08 करोड़ रुपये ठग लिए। कॉल करने वालों ने खुद को सरकारी अधिकारी और बाद में आईपीएस रश्मि शुक्ला बताने वाली महिला का परिचय देकर पीड़ित को विश्वास में लिया।

ठगों ने, आधार कार्ड के दुरुपयोग और मनी-लॉन्ड्रिंग जैसी गंभीर धाराओं का हवाला देकर उन्हें लगातार मानसिक दबाव में रखा गया। फर्जी डिजिटल अरेस्ट वारंट भेजकर यह दावा किया गया कि अगर वे सहयोग नहीं करेंगी तो तुरंत गिरफ्तारी हो जाएगी। घबराहट और डर के माहौल में पीड़ित महिला ने लगातार कई खातों में बड़ी रकम ट्रांसफर कर दी। कुछ दिनों बाद कॉल आना बंद होने और बैंक खाते खाली हो जाने पर उन्हें ठगी का एहसास हुआ।

शिकायत दर्ज होने पर सेंट्रल साइबर सेल ने तत्काल जांच शुरू की और नागपुर स्थित खाते से 35 लाख रुपये की राशि फ्रीज कर ली। पुलिस ने स्पष्ट किया है कि भारतीय कानून में ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसा कोई प्रावधान नहीं है और कोई भी अधिकारी फोन पर गिरफ्तारी या धन हस्तांतरण का निर्देश नहीं दे सकता।

साइबर ठगों से बचने के लिए बरतें अतिरिक्त सावधानी

इस घटना के बाद साइबर सेल ने नागरिकों के लिए अनेक आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। डिजिटल युग में बढ़ती ठगी को देखते हुए सबसे जरूरी है कि अनजान नंबरों से आने वाले कॉल पर विश्वास न किया जाए, खासकर जब कॉलर खुद को पुलिस, बैंक अधिकारी या किसी सरकारी संस्था का प्रतिनिधि बताता हो। किसी भी स्थिति में OTP, PIN, पासवर्ड, बैंक अकाउंट जानकारी या आधार से जुड़ी जानकारी साझा न करें।

यदि कोई कॉलर धमकी देकर कहे कि आप ‘डिजिटल अरेस्ट’ में हैं, आप पर केस है, या आपके नाम से अपराध हुआ है तो यह सौ प्रतिशत धोखाधड़ी है, और ऐसे कॉल को तुरंत काट देना चाहिए। किसी भी दबाव, डर या धमकी में आर्थिक लेन-देन न करें। बैंकिंग या वेरिफिकेशन के नाम पर भेजे गए लिंक, ऐप डाउनलोड या स्क्रीन-शेयरिंग के अनुरोध से बेहद सावधान रहें।

यदि किसी संभावित साइबर फ्रॉड की आशंका हो या ठगी की घटना घट जाए, तो तुरंत 1930 साइबर हेल्पलाइन पर कॉल कर शिकायत दर्ज करें। साथ ही अपने बैंक अकाउंट पर SMS और ईमेल अलर्ट सक्रिय रखें ताकि हर ट्रांजेक्शन का तुरंत पता चल सके। विशेषज्ञों का कहना है कि साइबर अपराधी सबसे अधिक वरिष्ठ नागरिकों और कम डिजिटल-जानकारी वाले लोगों को निशाना बनाते हैं। इसलिए परिवार के बुजुर्गों को साइबर फ्रॉड के नए तरीकों और सावधानियों के बारे में जागरूक करना बेहद जरूरी है। मुंबई में हुई यह घटना इस तथ्य को रेखांकित करती है कि तकनीक के इस युग में सजगता ही सबसे बड़ा बचाव है, और छोटी-सी सावधानी करोड़ों की ठगी से बचा सकती है।

Team The Loktantra

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