द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़े कथित कैश कांड में एक अहम मोड़ आ गया है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने इस मामले की जांच कर रही तीन सदस्यीय इन-हाउस कमिटी की रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दी है। रिपोर्ट के साथ-साथ जस्टिस वर्मा का जवाब भी दोनों शीर्ष पदाधिकारियों को सौंपा गया है।
जानकारों के मुताबिक, यह कदम संसद में महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने की दिशा में पहला संकेत माना जा रहा है। जांच कमिटी ने पुष्टि की है कि वर्मा के सरकारी आवास पर आग लगने की घटना के बाद वहां से बड़ी मात्रा में जला हुआ कैश बरामद हुआ था, जिसे बाद में हटा भी दिया गया।
जस्टिस वर्मा का इस्तीफा देने से इनकार
चीफ जस्टिस ने 4 मई को रिपोर्ट मिलने के बाद जस्टिस वर्मा को दो दिन में जवाब देने और त्यागपत्र देने पर विचार करने को कहा था। हालांकि, वर्मा ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। इसके बाद चीफ जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों से विचार-विमर्श कर यह रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी। जस्टिस वर्मा को पहले ही दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर किया जा चुका है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामले में पारदर्शिता बरतते हुए आगजनी की घटना के वीडियो और अन्य साक्ष्य सार्वजनिक किए थे। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने 22 मार्च को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जी. एस. संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जज अनु शिवरामन की एक जांच कमिटी गठित की थी।
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कमिटी ने 25 मार्च को घटनास्थल 30 तुगलक क्रीसेंट का दौरा किया, जहां आग लगी थी। जांच के दौरान कमिटी ने पुलिस, फायर विभाग, स्टाफ, सुरक्षा कर्मियों और परिवार के सदस्यों से भी पूछताछ की। इसके अलावा, वर्मा और उनके करीबियों के छह महीने के कॉल डाटा रिकॉर्ड और वित्तीय लेन-देन की भी तकनीकी जांच करवाई गई।