द लोकतंत्र: भारत ने एक और बड़ा सामरिक कदम बढ़ाया है। पूर्वी लद्दाख के न्योमा में 13,700 फीट की ऊंचाई पर देश का सबसे ऊंचा एयरफील्ड बनकर तैयार हो चुका है। यह एयरबेस वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से महज 30 किमी और लेह से करीब 200 किमी की दूरी पर स्थित है। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्टूबर 2025 के दूसरे सप्ताह में इसका उद्घाटन करेंगे।
दुनिया का पांचवां सबसे ऊंचा एयरफील्ड
न्योमा एयरबेस न केवल भारत का बल्कि दुनिया का पांचवां सबसे ऊंचा एयरफील्ड होगा। इसे सीमा सड़क संगठन (BRO) ने रिकॉर्ड समय यानी तीन साल से भी कम में तैयार किया है। 218 करोड़ रुपये की लागत से बने इस प्रोजेक्ट की आधारशिला रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सितंबर 2023 में रखी थी।
हर तरह के विमान होंगे ऑपरेट
यह एयरबेस रणनीतिक रूप से बेहद खास है क्योंकि यहां से भारी सैन्य विमान और आधुनिक लड़ाकू विमान आसानी से ऑपरेट किए जा सकेंगे। इसमें C-17 ग्लोबमास्टर III, सु-30 एमकेआई, चिनूक और अपाचे हेलिकॉप्टर जैसे एयरक्राफ्ट शामिल हैं। इससे सैनिकों और हथियारों की तैनाती सीमावर्ती इलाकों तक तेजी से की जा सकेगी।
2009 से अब तक की कहानी
1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद यह एयरस्ट्रिप दशकों तक बंद रही। 2009 में पहली बार एएन-32 विमान यहां उतरा था। 2020 में भारत-चीन सीमा विवाद के दौरान वायुसेना ने इसी स्ट्रिप से C-130J, एएन-32, अपाचे और चिनूक जैसे विमानों का संचालन किया था। उस समय से इसकी अहमियत और भी बढ़ गई।
भारतीय वायुसेना के लिए बड़ा हब
सूत्रों के मुताबिक, न्योमा एयरबेस भारतीय वायुसेना के लिए एक लॉजिस्टिक और टेक्निकल हब साबित होगा। यह फुकाचे और दौलत बेग ओल्डी जैसे छोटे एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड को भी मजबूती देगा। इसके शुरू होने से सीमावर्ती इलाकों में भारत की सैन्य मौजूदगी लगातार बनी रह सकेगी।
स्थानीय लोगों के लिए भी मददगार
यह एयरबेस केवल रक्षा के लिहाज से ही नहीं, बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए भी बड़ी राहत लाएगा। न्योमा और डेमचोक सेक्टर जैसे दूर-दराज के इलाकों तक पहुंच आसान हो जाएगी।
गेम-चेंजर प्रोजेक्ट
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे आधारशिला रखते समय ही गेम-चेंजर प्रोजेक्ट करार दिया था। न्योमा एयरबेस के संचालन से भारत की सीमाई सुरक्षा नई ऊंचाइयों तक पहुंचेगी और यह भारतीय सेना की क्षमताओं को और मजबूत बनाएगा।