द लोकतंत्र : सुप्रीम कोर्ट ने बीते 11 अगस्त शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की तरफ से फाइल किए गए एक विविध आवेदन पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की। बता दें, विविध आवेदन जिस मामले में दाखिल किया गया था उसे कोर्ट पहले ही खारिज कर चुकी है।
सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का दो टूक
शुक्रवार को जब इस मामले पर सुनवाई हुई तो जस्टिस गवई ने यहां तक संकेत दिए कि कोर्ट केंद्र सरकार पर जुर्माना लगाने का इच्छुक है क्योंकि कोर्ट के विचार में केंद्र ने विविध आवेदन की आड़ लेकर असल में रिव्यू पिटीशन दाखिल की है। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने दो टूक कहा कि 70 प्रतिशत सरकारी मुकदमे आधारहीन होते हैं।
जस्टिस गवई ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एएसजी ऐश्वर्या भाटी से कहा, आपसे कितनी लागत वसूल की जाए? एक याचिका जो पहले ही खारिज कर दी गई है उसे कैसे विविध आवेदन के जरिए पुनर्जीवित किया जा सकता है? हम इस प्रैक्टिस को सही नहीं मानते क्योंकि कोर्ट पहले ही इस याचिका को खारिज कर चुका है। 70 प्रतिशत इस तरह के मामले आधारहीन होते हैं।
यह भी पढ़ें : आदिवासियों के लिए राहुल गांधी ने जाहिर की अपनी चिंता, कहा आदिवासी भारत के मूल मालिक
कोर्ट ने ये बात केंद्र सरकार की तरफ से फाइल किए गए एक विविध आवेदन पर सुनवाई करते हुए कही। कोर्ट ने कहा आधारहीन मुदामों की वजह से कोर्ट का वर्कलोड बढ़ रहा है। कोर्ट ने कहा अगर केंद्र और राज्य सरकार चाहें तो वह इसका हल निकाल सकते हैं। हम सिर्फ अखबारों में ही पढ़ते हैं कि मुकदमे को लेकर नीति पर काम हो रहा है, लेकिन सच कुछ और ही है।