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Opposition Protest in Delhi: विपक्ष का चुनाव आयोग के खिलाफ मार्च, राहुल-प्रियंका गांधी हिरासत में

द लोकतंत्र: दिल्ली में विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में 300 से अधिक सांसदों ने संसद भवन के मकर द्वार से चुनाव आयोग के दफ्तर तक मार्च निकाला। विपक्ष का आरोप है कि देश में “वोट चोरी” हो रही है और चुनाव आयोग निष्पक्षता से काम नहीं कर रहा है।

प्रदर्शन के दौरान समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पुलिस बैरिकेड फांदकर आगे बढ़ने की कोशिश की। उन्हें वहां मौजूद अन्य नेताओं ने संभाल लिया। अखिलेश ने कहा कि खासकर उत्तर प्रदेश में वोट की लूट हो रही है और चुनाव आयोग को इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।

राहुल गांधी को पुलिस ने तब रोका जब वे चुनाव आयोग की ओर बढ़ रहे थे। वे सड़क पर अन्य सांसदों के साथ बैठ गए और आगे जाने देने की मांग करने लगे। थोड़ी देर बाद पुलिस ने राहुल और प्रियंका गांधी को हिरासत में ले लिया। प्रियंका गांधी ने हिरासत से पहले कहा, “यह सरकार डरी हुई है और विपक्ष की आवाज दबा रही है।”

प्रदर्शन के दौरान कई नेता बेहोश भी हो गए। तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा पुलिस की बस में बेहोश हो गईं, जहां राहुल गांधी ने उन्हें पानी पिलाया। पश्चिम बंगाल के सांसद मिताली बाग भी सड़क पर बेहोश हो गईं, जिन्हें साथी नेताओं ने पानी के छींटे मारकर होश में लाने की कोशिश की।

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार और चुनाव आयोग की “गठजोड़ वाली राजनीति” को जनता खारिज कर चुकी है। उन्होंने सवाल उठाया, “क्या जेल की सलाखें राहुल गांधी और विपक्ष को रोक पाएंगी?”

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि जब तक लोगों के मन में चुनावों की निष्पक्षता को लेकर संदेह है, तब तक चुनाव आयोग की विश्वसनीयता प्रभावित होती रहेगी। उन्होंने कहा कि आयोग को इन संदेहों का समाधान करना चाहिए ताकि उसकी साख वापस लौट सके।

विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह लड़ाई संविधान और “एक व्यक्ति, एक वोट” के अधिकार की रक्षा के लिए है। उनका स्पष्ट संदेश है, देश को साफ और पारदर्शी वोटर लिस्ट चाहिए।

Team The Loktantra

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लोकतंत्र की मूल भावना के अनुरूप यह ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां स्वतंत्र विचारों की प्रधानता होगी। द लोकतंत्र के लिए 'पत्रकारिता' शब्द का मतलब बिलकुल अलग है। हम इसे 'प्रोफेशन' के तौर पर नहीं देखते बल्कि हमारे लिए यह समाज के प्रति जिम्मेदारी और जवाबदेही से पूर्ण एक 'आंदोलन' है।

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