द लोकतंत्र : वरुण गांधी के बग़ावती तेवर की वजह से इसबार पीलीभीत (Pilibhit) लोकसभा सीट से भाजपा ने उनका टिकट काटकर जितिन प्रसाद को मैदान ए जंग में उतार दिया। वहीं, टिकट पाकर जितिन प्रसाद ने बाबा नीम करौरी का आशीर्वाद लेकर अपने चुनाव की तैयारियाँ शुरू कर दीं हैं। हालाँकि, जितिन के जीत की राह में वरुण गांधी समेत और भी कई रोड़े हैं जिनसे पार पाना भाजपा के लिए टेढ़ी खीर साबित होने वाली है।
जितिन के जीत की राह नहीं आसान
अबकी बार चार सौ पार का नारा देने वाली भारतीय जनता पार्टी का पीलीभीत लोकसभा सीट को लेकर जीत का समीकरण सेट नहीं हो पा रहा। चार सेट नामांकन का परचा ख़रीद कर वरुण गांधी जहां चुनाव लड़ने के फ़ुल मूड में हैं वहीं सपा का पूर्व प्रत्याशी और मौजूदा भाजपा नेता भी जितिन की राह में कीलें बिछाने को तैयार है।
सपा सरकार में खाद्य एवं रसद राज्य मंत्री रहे हेमराज वर्मा ने बीते वर्ष मई में भाजपा की सदस्यता ली थी। वह भी इसबार पीलीभीत लोकसभा सीट से टिकट के दावेदारों में से एक थे। वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र के उम्मीदवार के तौर पर उन्हें 4,48,922 मत हासिल हुए थे और उन्होंने दूसरा स्थान प्राप्त किया था। ख़बर है कि हेमराज़ भी इसबार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पीलीभीत से ताल ठोकेंगे।
वरुण आज लेंगे निर्णय, निर्दल लड़ेंगे या सपा के टिकट पर सब हो जाएगा क्लीयर
भाजपा सांसद होने के बावजूद वरुण गांधी कई मोर्चों पर अपनी ही पार्टी के सरकार के खिलाफ खुलकर मुखर रहे। और यही वजह रही कि इस बार भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। वहीं, पीलीभीत लोकसभा सीट के लिए नामांकन पत्र खरीद चुके वरुण गांधी का निर्णय क्या होगा इसको लेकर कई फ़ैक्टर्स पर गौर करते हुए क़यासबाजी लगायी जा रही है। ऐसी संभावना भी व्यक्त की जा रही है कि वरुण गांधी सपा के टिकट पर पीलीभीत का चुनाव लड़ें। दरअसल सपा के मौजूदा प्रत्याशी पूर्व मंत्री भगवतसरन गंगवार ने बीते दिनों वरुण गांधी के लिये सीट छोड़ने की बात कही थी।
वहीं दूसरी ओर, वरुण की बगावत में कांग्रेस पार्टी को भविष्य का रास्ता नज़र आ रहा है। दबी ज़ुबान में वरुण को अमेठी या रायबरेली से लड़ाए जाने की चर्चा भी है। कुछ सियासी पंडितों को वरुण गांधी के इस बग़ावत में ‘पारिवारिक एका’ होने की उम्मीद भी नज़र आ रही है। चर्चा यह भी है कि ऐन वक्त पर ख़ुद वरुण गांधी की माँ मेनका गांधी भी बेटे के साथ बगावती रूख अपना सकती हैं। हालाँकि भाजपा ने उन्हें सुल्तानपुर से लोकसभा का टिकट दे दिया है। यहाँ छठवें चरण में वोटिंग होनी है।
कहीं वरुण गांधी का टिकट काटना बीजेपी की मिस्टेक तो नहीं
पानी में रहकर मगर से बैर नहीं रखा जाता। संभवतः वरुण गांधी इस बात को भूल गए थे। तमाम मंचों पर वो खुलकर भाजपा का विरोध करते नज़र आते थे। पीएम नरेंद्र मोदी हों या सीएम योगी आदित्यनाथ कई मौक़ों पर वरुण ने दोनों पर जमकर निशाना साधा। वरुण के बग़ावती तेवर को देखकर उनका टिकट कटना लगभग तय ही था और शायद इसी वजह से पीलीभीत में भाजपा के टिकथार्थियों की संख्या बढ़ गई थी। हालाँकि, वरुण गांधी और उनके तेवर की वजह से सिर्फ़ पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र में ही नहीं बल्कि देश के कई हिस्सों में उनकी अपनी अलग फ़ैन फ़ॉलोइंग है।
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सियासत में कई बार कुछ चीजों को नज़रअंदाज़ करना बेहद ज़रूरी हो जाता है ऐसे में तब जब आपका विज़न बड़ा हो। वरुण गांधी का टिकट कटना भाजपा के ‘अबकी बार चार सौ पार’ के दावों को खोखला करती है। पीलीभीत में अगर वरुण गांधी ने चुनाव लड़ा तो यक़ीनी तौर पर जितिन प्रसाद को हार का मुँह देखना होगा जो भाजपा के लक्ष्य पर एक गहरी चोट साबित हो सकती है।