द लोकतंत्र : भारत और रूस के बीच स्थापित दीर्घकालिक सामरिक साझेदारी को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दिल्ली आगमन पर राजनयिक प्रोटोकॉल को दरकिनार करते हुए स्वयं पालम एयरपोर्ट पहुँचकर उनका स्वागत किया। सामान्य प्रोटोकॉल के तहत किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष का स्वागत केंद्रीय मंत्री स्तर का प्रतिनिधि करता है। किन्तु, प्रधानमंत्री का विमान के रैंप तक जाकर पुतिन का अभिनंदन करना, भारत की ओर से एक असाधारण और व्यक्तिगत भाव प्रदर्शित करता है।
क्रेमलिन की प्रतिक्रिया और दोस्ती का प्रतीक
भारतीय प्रधानमंत्री के इस कदम से रूसी पक्ष भी हैरान रह गया।
- अपेक्षित नहीं: क्रेमलिन की तरफ से आधिकारिक बयान में स्वीकार किया गया कि उन्हें इसकी उम्मीद नहीं थी और भारतीय पक्ष की ओर से इसकी सूचना पहले नहीं दी गई थी।
- सम्मान का भाव: रूस ने प्रधानमंत्री मोदी के इस जेस्चर को दोनों देशों के बीच गहरे सम्मान और अंतरंग दोस्ती के प्रतीक के रूप में देखा है। स्वागत के बाद, दोनों शीर्ष नेताओं का एक ही वाहन में बैठकर पीएम आवास के लिए रवाना होना, उनके आपसी भरोसे और नजदीकी को और पुख्ता करता है।
मोदी की कूटनीतिक शैली: प्रोटोकॉल तोड़ने की परंपरा
यह पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री मोदी ने किसी विशेष मेहमान के लिए राजनयिक प्रोटोकॉल तोड़ा हो। उनकी यह शैली व्यक्तिगत संबंधों को अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में सर्वोच्च महत्व देने की उनकी रणनीति को दर्शाती है।
- अबू धाबी के क्राउन प्रिंस (2016)
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (2020)
- फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (2018)
- जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय (2018)
- बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना (2017)
इन सभी प्रमुख नेताओं के स्वागत के लिए मोदी ने खुद एयरपोर्ट पहुँचकर एक अमिट छाप छोड़ी है।
पुतिन के विमान पर वैश्विक रुचि
पुतिन की इस यात्रा के दौरान एक और अहम बात सामने आई—रूसी राष्ट्रपति का विमान (RSD369) गुरुवार को दुनिया का सबसे ज्यादा ट्रैक किया जाने वाला विमान बन गया। फ्लाइट ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म FlightRadar24 के अनुसार, एक समय पर 49 हजार से ज्यादा लोगों ने इस उड़ान को ट्रैक किया। यह तथ्य भी भारत-रूस शिखर वार्ता के प्रति वैश्विक समुदाय की गहरी रुचि को प्रदर्शित करता है।
प्रधानमंत्री मोदी का यह असाधारण स्वागत न केवल पुतिन के साथ उनके व्यक्तिगत संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अपनी परंपरागत मित्रता को कितना महत्व देता है।

