द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : डिजिटल इंडिया की सफलता के साथ जहां टेक्नोलॉजी लोगों की ज़िंदगी आसान बना रही है, वहीं कुछ ऐप्स इसका दुरुपयोग कर नागरिकों को आर्थिक, मानसिक और अब राष्ट्रीय सुरक्षा स्तर पर भी खतरे में डाल रहे हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है ‘Pawram Loan’ ऐप का, जो गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है और ‘Pawram Trading Private Limited’ नामक कंपनी द्वारा संचालित बताया जा रहा है। सरकारी कॉरपोरेट डेटाबेस (MCA) के अनुसार, Pawram Trading Private Limited नागपुर में पंजीकृत है। कंपनी डेटा के अनुसार कंपनी के दो निदेशक हिमांशु कुमार प्रजापति और पवन कुमार हैं।
नागपुर से रजिस्टर्ड, पाकिस्तान से रिकवरी
ऐप के पाकिस्तान कनेक्शन के संदर्भ में जानकारी मिलने पर द लोकतंत्र की तरफ़ से हमने इससे 1000 रुपये का लोन लिया। इस दौरान ‘द लोकतंत्र’ की तहक़ीक़ात में चौंकाने वाली बातें सामने आईं। ऐप से लिए गए ₹1000 के लोन में सिर्फ ₹617 रुपये की राशि खाते में आती है, लेकिन सिर्फ 7 दिनों में ₹1006 की वसूली की जाती है। यानि 50% से ज़्यादा का ब्याज लिया जाता है जो किसी भी वैध लोन संरचना में स्वीकार्य नहीं है। द लोकतंत्र के पास कंपनी द्वारा संदिग्ध लेनदेन से संबंधित सभी साक्ष्य उपलब्ध हैं क्योंकि एक आम उपभोक्ता की तरह हमने इस लोन ऐप से सेवाएँ लेकर इसकी गहनता से जाँच की है।
यह बता दें, NBFC के अन्तर्गत लेंडर्स द्वारा हाई इंटरेस्ट लेना RBI के गाइडलाइन के ख़िलाफ़ तो है ही लेकिन इसका सबसे डरावना पहलू तब सामने आया जब लोन की वसूली के लिए पाकिस्तानी व्हाट्सऐप नंबरों से धमकी भरे कॉल्स और मैसेज आने लगे। ऐसे में सबसे पहला और ज़रूरी सवाल उठता है कि भारत में रजिस्टर्ड एक कंपनी की रिकवरी टीम पाकिस्तानी नंबरों का उपयोग क्यों कर रही है? साथ ही, क्यों इस कंपनी के रिपेमेंट के लिए ऑफिसियल बैंक अकाउंट की जगह रैंडम पर्सनल अकाउंट्स का उपयोग किया जा रहा है?
राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को कंपनी के डायरेक्टर्स से पूछने चाहिए सवाल
सवाल उठना लाज़िमी है कि कहीं भारत की डिजिटल सीमाओं के भीतर बैठकर देशविरोधी गतिविधियों को संचालित तो नहीं किया जा रहा है? क्या इससे कमाए गए पैसे भारत विरोधी गतिविधियों में प्रयुक्त हो रहे हैं? क्या यह ऐप एक डिजिटल हथियार बनकर राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनौती दे रहा है? देश की सुरक्षा एजेंसियों को चाहिए कि इस कंपनी के संचालकों से यह स्पष्ट पूछें कि पाकिस्तानी नंबरों से रिकवरी कॉल्स क्यों आ रही हैं? कंपनी अकाउंट को छोड़कर पर्सनल खातों का उपयोग क्यों किया जा रहा है? और क्या इसके पीछे आतंकी नेटवर्क को आर्थिक पोषण देने वाली कोई श्रृंखला है?
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साइबर क्राइम सेल और गृह मंत्रालय को इस मामले का संज्ञान लेकर तुरंत जांच शुरू करनी चाहिए और गूगल जैसे प्लेटफॉर्म्स को भी अपने स्टोर पर मौजूद ऐसे ऐप्स की जांच के लिए अधिक पारदर्शिता और सख्ती बरतनी चाहिए।
जब भारत पहले ही चीनी लोन ऐप्स के ज़रिए आर्थिक शोषण के खतरे को झेल चुका है, तब ऐसे पाकिस्तानी संपर्कों वाले ऐप्स का सक्रिय होना केवल साइबर फ्रॉड नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक खतरे की घंटी है। ऐसे में ज़रूरी है कि सरकार और गूगल इंडिया तत्काल इस ऐप को प्ले स्टोर से हटाए और संबंधित एजेंसियां इस पूरे नेटवर्क पर सख्त कार्रवाई करें। डिजिटल इंडिया को सिर्फ़ तकनीक नहीं, सुरक्षा भी चाहिए और यह मामला उसी संतुलन की माँग करता है।