द लोकतंत्र। नई दिल्ली : लद्दाख में चल रहे विरोध प्रदर्शनों और हिंसक घटनाओं के बीच केंद्र सरकार ने सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरणविद सोनम वांगचुक को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है। सरकारी सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, वांगचुक की गतिविधियों और बयानों ने क्षेत्र में तनाव को भड़काया है, जिसके चलते हिंसक घटनाएं देखने को मिलीं। सरकार ने साफ किया है कि यह हिंसा सोनम वांगचुक के भड़काऊ बयानों से प्रेरित थी।
दरअसल, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में बुधवार (24 सितंबर 2025) को स्थिति अचानक तनावपूर्ण हो गई, जब राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन भड़क उठा। गुस्साई भीड़ ने पुलिस और CRPF की गाड़ियों के साथ-साथ कई अन्य वाहनों को आग के हवाले कर दिया। इस दौरान पत्थरबाजी और तोड़फोड़ भी हुई, जिसमें दर्जनों सुरक्षाकर्मी घायल हो गए। हालात को काबू करने के लिए पुलिस को गोली चलानी पड़ी, जिसमें कुछ लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए।
सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल से शुरू हुआ आंदोलन
जानकारी के मुताबिक, यह आंदोलन समाजसेवी सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल के बाद तेज हुआ। उन्होंने 10 सितंबर 2025 से लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर अनशन शुरू किया था। वांगचुक लगातार इस मुद्दे पर लोगों से समर्थन जुटा रहे थे और अपने बयानों में अरब स्प्रिंग और नेपाल के जनरेशन-Z आंदोलनों जैसे उदाहरण देते हुए लोगों से आंदोलन तेज करने की अपील कर रहे थे।
सरकार ने याद दिलाए अब तक के फैसले
गृह मंत्रालय ने इस पूरे मामले पर बयान जारी करते हुए कहा कि सरकार पहले से ही लद्दाख की समस्याओं और आकांक्षाओं को लेकर गंभीर है। इसके लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति (HPC) और उपसमिति बनाई गई है, जो लेह की एपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस से लगातार बातचीत कर रही है। अब तक की चर्चाओं से कई बड़े फैसले सामने आए हैं, जैसे अनुसूचित जनजाति समुदाय के लिए आरक्षण 45% से बढ़ाकर 84% करना, परिषदों में महिलाओं को एक-तिहाई आरक्षण देना, भोटी और पुरगी भाषाओं को आधिकारिक भाषा का दर्जा प्रदान करना और 1800 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करना।
गृह मंत्रालय: हिंसा राजनीति से प्रेरित
गृह मंत्रालय ने साफ कहा कि यह हिंसा सामान्य विरोध नहीं, बल्कि राजनीति से प्रेरित थी। मंत्रालय ने आरोप लगाया कि कुछ लोग संवाद प्रक्रिया को बाधित करना चाहते हैं और उन्होंने आंदोलन को हिंसक रूप देने की कोशिश की। सरकार का कहना है कि सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल के दौरान दिए गए बयानों ने भीड़ को उकसाने का काम किया, जबकि उनके उठाए गए मुद्दे पहले से HPC की चर्चाओं में शामिल हैं।
पुलिस को आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी
गृह मंत्रालय के मुताबिक, 24 सितंबर की सुबह करीब 11:30 बजे भूख हड़ताल स्थल से निकली भीड़ ने एक राजनीतिक दल के कार्यालय और सीईसी लेह के सरकारी दफ्तर पर हमला कर दिया। वहां आगजनी और तोड़फोड़ की गई। इसके बाद भीड़ ने सुरक्षाबलों पर हमला कर दिया और पुलिस की गाड़ियों को भी जला दिया। इस हमले में 30 से अधिक पुलिस और CRPF कर्मी घायल हुए। हालात काबू से बाहर होने पर पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई। दुर्भाग्य से इसमें कुछ लोग हताहत हुए। हालांकि, दोपहर 4 बजे तक स्थिति पर नियंत्रण पा लिया गया।
गृह मंत्रालय ने बयान में दोहराया कि सरकार लद्दाख के लोगों की आकांक्षाओं का सम्मान करती है और उनके संवैधानिक संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। मंत्रालय ने कहा कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है और इसका असर आम लोगों के जीवन पर नकारात्मक पड़ता है। सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे बातचीत और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांग रखें।