द लोकतंत्र : उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन ‘शर्मनाक’ रहा है। यूपी में भाजपा फैजाबाद जैसी महत्वपूर्ण सीट हारने के साथ साथ पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी संतोषजनक प्रदर्शन करने में नाकाम रही। पीएम मोदी और कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय के बीच जीत का मार्जिन महज़ डेढ़ लाख मतों का रहा। अब, संगठन स्तर पर बीजेपी यूपी के प्रदर्शन की समीक्षा की जायेगी क्योंकि यूपी जैसे सियासी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण राज्य में मज़बूत स्थिति होने के बावजूद आशा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं होने से बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आयी हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 में ‘अबकी बार 400 पार’ का नारा देने वाली भाजपा की रणनीति यूपी के सियासी मैदान में औंधे मुँह गिर पड़ी। यूपी के सियासी समीकरणों को साधने की सारी क़वायद धरी रह गई। यूपी की सभी 80 सीटों को जीतने का दावा करने वाली भाजपा आधे से भी कम सीटों पर सिमट गई। अब जानकारी सामने आ रही है कि, शीर्ष नेतृत्व यूपी में महत्वपूर्ण सीटों पर मिली पराजय के कारणों की समीक्षा करेगा और इस क्रम में संगठन के कई पदाधिकारी और सरकार में महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो लेकर बैठे मंत्रियों को पैदल भी किया जा सकता है। यूपी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी को भी बदला जा सकता है। साथ ही, संगठन स्तर पर व्यापक बदलाव होंगे।
ऐसे सवाल जो बीजेपी को कर रहे परेशान?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा विकास के कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं इसके बावजूद वाराणसी में PM मोदी की जीत की मार्जिन घटी जिसे लेकर प्रधानमंत्री काफी नाराज बताये जा रहे हैं। इसके अलावा अमेठी जैसी महत्वपूर्ण सीट पर स्मृति ईरानी सहित यूपी में 4 केंद्रीय मंत्रियों की हार के कारण क्या रहे इसपर भी मंथन हो रहा है।
यूपी में प्रत्याशियों के चयन में गड़बड़ किसकी बजह से हुई, टिकट वितरण में एंटी इनकम्बेंसी जैसे फ़ैक्टर्स को अनदेखा क्यों किया गया। स्थानीय कार्यकर्ताओं की नाराज़गी और भीतरघात पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया? बाहरी प्रत्याशियों को क्यों थोपा गया? राजपूत/ब्राह्मण की नाराज़गी और युवाओं के हितों की अनदेखी पर भी चर्चा होगी।
वोट शेयर में भी कमी, जीत का मार्जिन भी घटा
वाराणसी संसदीय क्षेत्र में विकास के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जीत का मार्जिन कम रहा। साथ ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जैसे बड़े नेताओं के जीत की मार्जिन में भी भारी कमी आई है। यूपी से चुनाव लड़ने वाले सात केंद्रीय मंत्री और प्रदेश सरकार के दो मंत्री भी आम चुनाव हार गए। इसके अलावा कई सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को जीत के लिए काफ़ी मशक्क़त करनी पड़ी है।
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2019 के चुनाव में यूपी में 62 सीटें जीतने वाली भाजपा के वोट शेयर में भी भारी गिरावट हुई है। पिछले लोकसभा चुनाव में जहां बीजेपी को 49.97% वोट मिले थे वहीं इस बार यह आंकड़ा घटा है। चुनाव परिणाम अपेक्षा के अनुरूप नहीं होने पर सांगठनिक स्तर पर समीक्षा की तैयारी की गई है। आने वाले दिनों में यूपी संगठन और सरकार में बड़े फेरबदल देखने को मिलेंगे।