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Arvind Trivedi Ravana Story: रामायण में रावण बनने से पहले अरविंद त्रिवेदी थे केवट के ऑडिशन में, ऐसे बदल गई किस्मत

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द लोकतंत्र: रामानंद सागर की ‘रामायण’ भारतीय टेलीविजन के इतिहास का एक ऐसा शो है, जिसने दर्शकों के दिल में अमिट छाप छोड़ी। 1987 में प्रसारित हुए इस सीरियल ने करोड़ों दर्शकों को टीवी के सामने बैठने पर मजबूर कर दिया था। शो में राम-सीता के रूप में अरुण गोविल और दीपिका चिखलिया को आज भी लोग पूजते हैं। वहीं, रावण का किरदार निभाने वाले दिवंगत अरविंद त्रिवेदी भी अपनी दमदार अदाकारी के कारण हमेशा याद किए जाते हैं। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि रावण का रोल उन्हें संयोग से मिला था और वो इस रोल के लिए पहली पसंद भी नहीं थे।

पहली पसंद थे अमरीश पुरी
अरविंद त्रिवेदी ने एक पुराने इंटरव्यू में बताया था कि रावण का किरदार पहले बॉलीवुड के मशहूर विलेन अमरीश पुरी को ऑफर किया गया था। लेकिन उन्होंने यह रोल करने से मना कर दिया। इसके बाद यह मौका अरविंद त्रिवेदी के पास आया और उन्होंने इस किरदार को ऐसे निभाया कि लोग आज भी उनकी एक्टिंग की मिसाल देते हैं।

केवट के ऑडिशन से रावण तक का सफर
बीबीसी को दिए इंटरव्यू में अरविंद त्रिवेदी ने बताया था कि वह मूल रूप से केवट के रोल के लिए ऑडिशन देने आए थे। ऑडिशन देने के बाद जब वह स्टूडियो से निकल रहे थे, तब उनकी कद-काठी, चाल-ढाल और व्यक्तित्व पर रामानंद सागर की नजर पड़ी। उसी पल उन्होंने कहा – “मुझे मेरा रावण मिल गया।”

टीम का विरोध, लेकिन सागर का फैसला
अरविंद त्रिवेदी के अनुसार, टीम और राम के किरदार में नजर आने वाले अरुण गोविल का मानना था कि रावण के लिए अमरीश पुरी सबसे उपयुक्त होंगे। लेकिन रामानंद सागर ने अपने फैसले पर अडिग रहते हुए अरविंद को यह रोल दे दिया।

रावण की अदाकारी जिसने लोगों को चौंका दिया
शो के प्रसारण के बाद अरविंद त्रिवेदी की एक्टिंग इतनी असरदार रही कि दर्शक उनके रावण को देखकर गुस्सा करने लगते थे। उनकी दमदार आवाज, हाव-भाव और डायलॉग डिलीवरी ने उन्हें टीवी इतिहास के सबसे यादगार खलनायकों में शामिल कर दिया।

अरविंद त्रिवेदी ने न सिर्फ ‘रामायण’ से पहचान बनाई बल्कि गुजराती थिएटर और फिल्मों में भी लंबे समय तक योगदान दिया। उनका यह रोल आज भी भारतीय टेलीविजन की सबसे बेहतरीन परफॉर्मेंस में गिना जाता है।

Uma Pathak

Uma Pathak

About Author

उमा पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मास कम्युनिकेशन में स्नातक और बीएचयू से हिन्दी पत्रकारिता में परास्नातक किया है। पाँच वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली उमा ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उमा पत्रकारिता में गहराई और निष्पक्षता के लिए जानी जाती हैं।

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