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Sunjay Kapur Inheritance Dispute: 30,000 करोड़ की संपत्ति पर कानूनी जंग, मां Rani Kapur ने उठाए गंभीर सवाल

द लोकतंत्र: संजय कपूर की 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को लेकर पारिवारिक विवाद अब गंभीर कानूनी जंग में बदल चुका है। दिवंगत उद्योगपति और अभिनेत्री करिश्मा कपूर के पूर्व पति संजय कपूर की मृत्यु के बाद से उनकी मां रानी कपूर लगातार आरोपों के चलते सुर्खियों में हैं।

रानी कपूर का दावा है कि उनके बेटे की मृत्यु संदिग्ध परिस्थितियों में यूनाइटेड किंगडम (UK) में हुई, जिसे “मधुमक्खी के डंक” से हुई मौत बताया गया। उन्होंने अब ब्रिटिश अधिकारियों से मामले की जांच की मांग की है, क्योंकि उन्हें यह मौत रहस्यमयी प्रतीत हो रही है।

विरासत पर दावा और दस्तावेजों पर दबाव
रानी कपूर ने Sona Comstar कंपनी के शेयरहोल्डर्स को एक पत्र भेजते हुए दावा किया कि संजय कपूर की मृत्यु के बाद उन्हें भावनात्मक स्थिति में गलत तरीके से दस्तावेजों पर साइन करने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें संपत्ति, खातों और कंपनी की जानकारी से दूर रखा गया, और दस्तावेजों का इस्तेमाल कर कंपनी पर नियंत्रण को दर्शाया जा रहा है।

सोना कॉमस्टार का जवाब
कंपनी ने रानी कपूर के सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि रानी कपूर कंपनी की शेयरहोल्डर, निदेशक या अधिकारी नहीं हैं, और कम से कम 2019 से कंपनी में उनकी कोई भूमिका नहीं रही है। कंपनी ने उनके पत्र को “गैर-जिम्मेदाराना और शेयरधारकों को गुमराह करने वाला” बताया और उन्हें कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी।

क्या कहती है वसीयत?
रानी कपूर का दावा है कि उनके पति डॉ. सुरिंदर कपूर ने संपत्ति और शेयरधारिता उन्हें सौंपते हुए स्पष्ट वसीयत बनाई थी, और परिवार की सभी संपत्तियां 1980-90 के दशक में उन्हीं के योगदान से बनी थीं।

कानूनी विकल्प और संभावनाएं
रानी कपूर यदि चाहें, तो Companies Act, 2013 की धारा 241 और 242 के तहत दमन और कुप्रबंधन के आधार पर ट्रिब्यूनल में शिकायत कर सकती हैं। इसके अलावा, अगर उन्होंने दस्तावेजों पर दबाव में हस्ताक्षर करने का दावा किया है, तो वे दीवानी निषेधाज्ञा या आपराधिक धोखाधड़ी की कार्यवाही शुरू कर सकती हैं।

संजय कपूर की मौत और उससे जुड़ा यह विरासत विवाद अब सिर्फ पारिवारिक मुद्दा नहीं रहा, बल्कि एक हाई-प्रोफाइल कॉर्पोरेट और कानूनी मामला बन चुका है। इस मामले में आने वाले दिनों में अदालत की भूमिका अहम हो सकती है।

Uma Pathak

Uma Pathak

About Author

उमा पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मास कम्युनिकेशन में स्नातक और बीएचयू से हिन्दी पत्रकारिता में परास्नातक किया है। पाँच वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली उमा ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उमा पत्रकारिता में गहराई और निष्पक्षता के लिए जानी जाती हैं।

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