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BJP के सहयोगी दल बने सिरदर्द, ओम प्रकाश राजभर की चेतावनी NDA में सीट नहीं मिली तो अकेले लड़ेंगे

BJP's allies have become a headache, Om Prakash Rajbhar warns that if he does not get a seat in NDA, he will fight alone

द लोकतंत्र : उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को खुली चेतावनी दी है। उन्होंने साफ कर दिया कि अगर एनडीए में उनकी पार्टी को सीटें नहीं मिलतीं, तो वे किसी अन्य दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगे, बल्कि अकेले ही चुनाव लड़ेंगे।

बीजेपी के सहयोगी दल बने सिरदर्द

बीजेपी के सहयोगी दलों की सीटों को लेकर बढ़ती नाराजगी अब पार्टी के लिए सरदर्द बनती जा रही है। दिल्ली और बिहार चुनावों में सीटों की मांग ने बीजेपी के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। एनडीए में अपनी भूमिका पर सवाल उठाते हुए राजभर ने कहा, अगर हमें एनडीए के तहत सीटें मिलती हैं, तो हम साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे, नहीं तो हम अकेले लड़ेंगे।

राजभर ने दावा किया कि उनकी पार्टी के प्रति जनता का भरोसा लगातार बढ़ रहा है। बिहार के 38 में से 36 जिलों में उनकी पार्टी की मजबूत उपस्थिति है। उन्होंने कहा हमने नवादा, कटिहार, सिवान, छपरा और मधेपुरा में बड़ी रैलियां की हैं, जहां हजारों की संख्या में लोग जुटे। जनता का विश्वास हमारी ओर बढ़ रहा है।

बिहार में सुभासपा की रणनीति

बिहार विधानसभा चुनावों के लिए सुभासपा कितनी सीटों पर लड़ेगी, इस पर ओपी राजभर ने कहा कि जल्द ही पार्टी बैठक के बाद स्थिति स्पष्ट होगी। हालांकि, उन्होंने दोहराया कि सीटें नहीं मिलने पर उनकी पार्टी अकेले मैदान में उतरेगी। बिहार उपचुनाव का जिक्र करते हुए राजभर ने कहा, तरारी और रामगढ़ में हमने पर्चा भरवा दिया था। यह मामला बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचा, और जगत प्रकाश नड्डा ने हमसे हस्तक्षेप करने को कहा। हमने सीट मांगी थी, लेकिन बीजेपी ने हमें कोई सीट नहीं दी।

दिल्ली चुनाव में भी बढ़ी मुश्किलें

दिल्ली चुनावों में सहयोगी दलों की सीटों की मांग ने बीजेपी की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। सुभासपा जैसी पार्टियों की बढ़ती नाराजगी और सीटों पर दबाव बीजेपी के लिए चुनौती बनता जा रहा है। ओम प्रकाश राजभर ने बीजेपी को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा, हम हराने नहीं आए हैं, लेकिन हमारा सम्मान भी जरूरी है। अगर हमें सम्मानजनक सीटें नहीं दी गईं, तो हमारी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी।

बीजेपी के लिए यह नाराजगी गठबंधन के समन्वय पर सवाल खड़े करती है। अब देखना यह है कि एनडीए में सीटों का बंटवारा कैसे होता है और सहयोगी दलों की नाराजगी बीजेपी के चुनावी गणित को कितना प्रभावित करती है।

Team The Loktantra

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