द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : दिल्ली के भारत मंडपम में शनिवार, 24 मई 2025 को नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक आयोजित की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस उच्चस्तरीय बैठक का मुख्य एजेंडा – ‘विकसित भारत के लिए विकसित राज्य 2047’ था। इस महत्वपूर्ण मंच पर सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, उपराज्यपालों और केंद्रीय मंत्रियों को आमंत्रित किया गया था, लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अनुपस्थिति ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
नीतीश कुमार, जो वर्तमान में बिहार में भाजपा के सहयोग से सरकार चला रहे हैं, इस बैठक से नदारद रहे। उनकी गैरमौजूदगी पर सबसे अधिक चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि बिहार में इसी वर्ष विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं और प्रधानमंत्री मोदी का बिहार दौरा भी जल्द ही निर्धारित है। ऐसे समय में मुख्यमंत्री का नीति निर्धारण से जुड़ी एक अहम बैठक में शिरकत न करना राजनीतिक संकेतों से भरपूर माना जा रहा है।
बैठक में शामिल न होने की पहले ही दे दी थी सूचना
हालांकि, नीतीश कुमार की ओर से पहले ही यह स्पष्ट कर दिया गया था कि वे इस बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगे, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक और विपक्षी दल इस फैसले को एक ‘राजनीतिक संदेश’ के तौर पर देख रहे हैं। कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि ऐसे निर्णय गहरे राजनीतिक संकेत देते हैं। वहीं, राजद सांसद मनोज झा ने सीधा निशाना साधते हुए कहा कि अब बिहार में नीतीश कुमार की प्राथमिकताएं वे लोग तय कर रहे हैं जो पर्दे के पीछे हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि राज्य की स्थिति ऐसी हो गई है जैसे जहाज का पायलट नदारद हो और ऑटोपायलट भी काम नहीं कर रहा।
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इस बैठक से केवल नीतीश कुमार ही नहीं, बल्कि कर्नाटक, केरल और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री भी अनुपस्थित रहे, लेकिन चूंकि नीतीश एनडीए गठबंधन का हिस्सा हैं, इसलिए उनके नहीं आने को लेकर चर्चाएं सबसे अधिक हैं। आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र इस तरह की सियासी गतिविधियां आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति को और दिलचस्प बना सकती हैं।