द लोकतंत्र/ पटना : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण की तारीख नजदीक आते ही राज्य की सियासत तेज हो गई है। इस बीच भोजपुरी स्टार और बीजेपी नेता पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह ने जन सुराज पार्टी के प्रमुख और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) से मुलाकात कर सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।
मैं टिकट मांगने नहीं, न्याय की आवाज उठाने आई हूं – ज्योति सिंह
मुलाकात के बाद ज्योति सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनकी इस मुलाकात का राजनीति या चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है।
उन्होंने कहा, मैं यहां चुनाव लड़ने या टिकट मांगने नहीं आई हूं। मैं यह सुनिश्चित करने आई हूं कि किसी और महिला को मेरे जैसा अन्याय न झेलना पड़े। मैं उन सभी महिलाओं की आवाज बनना चाहती हूं, जिनकी आवाज दबा दी जाती है।
ज्योति सिंह ने आगे कहा कि उन्होंने प्रशांत किशोर से सिर्फ सामाजिक न्याय और महिलाओं की सुरक्षा पर बातचीत की है, न कि किसी राजनीतिक भूमिका को लेकर।
ज्योति एक महिला और बिहारी के रूप में आईं – प्रशांत किशोर
जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भी इस मुलाकात पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, ज्योति सिंह एक बिहारी और एक महिला के रूप में जन सुराज से मिलने आईं। उन्होंने चुनाव या टिकट की कोई बात नहीं की। उन्होंने बताया कि ज्योति सिंह ने अपने साथ हुए अन्याय की बात रखी और कहा कि वे नहीं चाहतीं कि ऐसी स्थिति किसी और महिला के साथ हो।
प्रशांत किशोर ने कहा, मैंने उन्हें स्पष्ट बताया कि मैं किसी के पारिवारिक मामलों में दखल नहीं दे सकता, लेकिन जहां तक लोकतांत्रिक मूल्यों और सुरक्षा की बात है, जन सुराज उनके साथ खड़ा रहेगा।
पवन सिंह मेरे दोस्त हैं – प्रशांत किशोर
पीके ने आगे कहा कि पवन सिंह भी उनके पुराने परिचित हैं, लेकिन वे इस मामले को निजी विवाद के रूप में देखते हैं। उन्होंने कहा, पवन सिंह मेरे दोस्त हैं। पारिवारिक मामलों में मैं कुछ नहीं कह सकता, लेकिन अगर कोई महिला न्याय की उम्मीद लेकर हमारे पास आती है, तो सामाजिक जिम्मेदारी के तहत मैं उसकी बात जरूर सुनूंगा।
बिहार चुनाव से पहले सियासी हलचल तेज
ज्योति सिंह और प्रशांत किशोर की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले चरण की तैयारियां जोरों पर हैं। एनडीए, इंडिया गठबंधन और जन सुराज जैसी पार्टियां अपने-अपने समीकरण साधने में जुटी हैं। हालांकि, ज्योति सिंह ने स्पष्ट कर दिया कि उनकी यह मुलाकात पूरी तरह सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित थी, फिर भी इसे बिहार की राजनीति में संभावित नए समीकरणों के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।

