द लोकतंत्र : राजनीति में कद और पद दोनों काफी मायने रखते हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य भी यह बखूबी समझते हैं इसलिए अखिलेश यादव से अलग होते ही उन्होंने नयी पार्टी का ऐलान कर सूबे की सियासत में हलचल बढ़ा दी है। स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान अक्सर समाजवादी पार्टी को असहज कर देती थीं जिसकी वजह से सपा के भीतर उनके लिए एक असंतोष पैदा हो गया था। बहरहाल, स्वामी प्रसाद मौर्य ने अलग रास्ता चुनते हुए सोमवार को नई पार्टी का गठन कर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। उन्होंने इस पार्टी के झंडे की तस्वीर भी मीडिया के सामने साझा की है।
अखिलेश से नाराज़गी के बाद दिया था इस्तीफ़ा
स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों से समाजवादी पार्टी अक्सर असहज हो जाया करती थी जिसके बाद पार्टी उनके बयानों को निजी बताकर पल्ला झाड़ लेती थी। इसी बात का दर्द लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा को अलविदा कह दिया। इस्तीफ़ा देते समय स्वामी प्रसाद ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा था कि मैं नहीं समझ पाया कि मैं एक राष्ट्रीय महासचिव हूं, जिसका कोई भी बयान निजी बयान हो जाता है। और, पार्टी के कुछ राष्ट्रीय महासचिव व नेता ऐसे भी हैं, जिनका हर बयान पार्टी का हो जाता है। एक ही स्तर के पदाधिकारियों में कुछ का निजी और कुछ का पार्टी का बयान कैसे हो जाता है? यह समझ के परे है।
उन्होंने आगे लिखा कि, हैरानी यह है कि मेरे इस प्रयास से आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों का रुझान समाजवादी पार्टी की तरफ बढ़ा है। बढ़ा हुआ जनाधार पार्टी का और जनाधार बढ़ाने का प्रयास व वक्तव्य पार्टी का न होकर निजी कैसे? उन्होंने कहा, पार्टी के ही कुछ ‘छुटभैये’ और कुछ बड़े नेताओं ने उसे उनका निजी बयान कहकर उनके प्रयास की धार को कुंद करने की कोशिश की। यदि राष्ट्रीय महासचिव पद में भी भेदभाव है, तो मैं समझता हूं, ऐसे भेदभावपूर्ण, महत्वहीन पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। बता दें, स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों को लेकर सपा के अंदर काफ़ी खींचतान थी।
राज्यसभा चुनाव में बिगाड़ेंगे सपा का समीकरण या देंगे समर्थन
स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी बेटी संघमित्रा मौर्य को सपा के टिकट से बदायूँ सीट पर लड़ाना चाहते थे। हालाँकि उसके पहले ही सपा ने वहाँ अपना कैंडिडेट दे दिया। संघमित्रा अभी फिलहाल भाजपा की सांसद हैं। राज्यसभा चुनाव में वोटिंग के लिये सपा के सात आठ विधायकों को तोड़ भाजपा के आठवें राज्यसभा प्रत्याशी को जिताने में भूमिका निभाने के बदले संघमित्रा को दुबारा बीजेपी टिकट की डील की संभावना राजनीतिक विश्लेषक लगा रहे हैं। अगर स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी के कैंडिडेट को जिताने में अपनी भूमिका निभायी तो उनकी बेटी संघमित्रा का दावा एक बार फिर टिकट पाने में पुख्ता हो सकता है।
स्वामी प्रसाद मौर्य किसके?
नयी पार्टी के गठन के साथ ही स्वामी प्रसाद मौर्य कल रायबरेली में राहुल गांधी की न्याय यात्रा में शामिल होंगे। सपा एमएलसी स्वामी अखिलेश यादव के रवैये से नाराज़ हैं और दूसरी तरफ़ अपनी बेटी के राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित भी। ऐसे में सवाल यह है कि स्वामी प्रसाद मौर्य किसके हैं? उनका शरीर न्याय यात्रा में राहुल गांधी के साथ रहेगा वहीं मन और दिमाग़ अपनी बेटी के सियासी भविष्य तय करते हुए भाजपा के साथ।
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स्वामी प्रसाद मौर्य 2017 विधानसभा चुनाव से पहले बीएसपी छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए थे। हालांकि, 5 साल के बाद ही उनका बीजेपी से भी मोहभंग हो गया और वह सपा में शामिल हो गए। अब सपा से किनारा करते हुए उन्होंने नयी पार्टी बनायी है। स्वामी की पार्टी का नाम राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी है। अब स्वामी प्रसाद मौर्य मंगलवार को रायबरेली जाएंगे जहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में हो रही भारत जोड़ो यात्रा में हिस्सा लेंगे।