द लोकतंत्र : हिंदू धर्म शास्त्रों में ब्रह्म मुहूर्त के समय को बहुत विशेष और पवित्र माना जाता है। प्रातः काल तीन से पांच बजे के बीच का समय ही ब्रह्म मुहूर्त का माना गया है। इसे ‘अक्षय मुहूर्त’ के नाम से भी जाना जाता है, यानी वह समय जिसका फल कभी नष्ट नहीं होता।
यह दिन का सबसे शांत समय होता है। ऐसा माना जाता है कि इस समय पर प्रकृति की ऊर्जा अपने चरम पर होती है और मन पूरी तरह से उलझनों से मुक्त होकर शांत रहता है। इन्हीं सब वजहों से यह समय ध्यान, योग, पूजा-पाठ और साधना के लिए सबसे शुभ कहा गया है।
ब्रह्म मुहूर्त में काम की शुरुआत करने के फायदे
जो कोई भी ब्रह्म मुहूर्त में अपने काम की शुरुआत करता है, उसे कई तरह के शारीरिक और मानसिक लाभ मिलते हैं:
मस्तिष्क की स्पष्टता: इस समय मस्तिष्क ज्यादा साफ रहता है।
सोचने की क्षमता: सोचने-समझने की ताकत बढ़ती है।
ऊर्जावान शरीर: दिन भर शरीर ऊर्जावान रहता है।
शीघ्र फल: इस समय में की गई साधना का असर जल्दी दिखाई देता है, क्योंकि मन उलझनों से मुक्त होता है और एकाग्रता अधिक होती है।
यदि आप अपनी एकाग्रता बढ़ाना और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं, तो ब्रह्म मुहूर्त में उठकर इन 3 चमत्कारी कामों को जरूर अपनाना चाहिए।
ब्रह्म मुहूर्त में करने चाहिए ये 3 विशेष काम
ब्रह्म मुहूर्त में जागने के बाद, बिस्तर पर ही या कुछ देर बाद निम्नलिखित कार्य करने से पुण्य फल प्राप्त होते हैं:
1. हथेलियों के दर्शन करें (कराग्रे वसते लक्ष्मी)
ब्रह्म मुहूर्त का समय बड़ा ही चमत्कारी माना गया है। इस दौरान आंख खुलते ही सबसे पहला काम अपनी हथेलियों को देखना होना चाहिए।
मान्यता: ऐसा माना जाता है कि हथेलियों में त्रीदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) और मां लक्ष्मी निवास करते हैं। हथेलियों के दर्शन के समय निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करना चाहिए:
“कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती। करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्॥”
लाभ: ब्रह्म मुहूर्त में उठते ही अपनी हथेलियों के दर्शन करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और दिन भर के कार्यों में सफलता मिलती है।
2. गायत्री मंत्र का जाप करें
हथेलियों के दर्शन के बाद, अपने इष्टदेव का स्मरण करना चाहिए और गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
मंत्र: “ऊं भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।”
लाभ: इस शुभ समय गायत्री मंत्र का जाप करने से पुण्य फल प्राप्त होते हैं, मानसिक शक्ति बढ़ती है और नकारात्मकता दूर होती है।
3. भगवान शिव का स्मरण और ‘ऊं’ का जप करें
मंत्रोच्चारण के बाद, कुछ देर ध्यान (Meditation) लगाना चाहिए और भगवान शिव का स्मरण करना चाहिए।
साधना: इस समय में ‘ऊं’ (OM) का जाप करना चाहिए, क्योंकि यह ब्रह्मांड की ध्वनि मानी जाती है।
लाभ: इस साधना से मन और आत्मा दोनों शुद्ध होती है। साथ ही, मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन की हर परेशानी दूर होती है। यह अभ्यास आपको दिनभर के लिए मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।

