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Evil Eye Remedies: चप्पल से नजर उतारने का यह अनोखा उपाय आज भी क्यों माना जाता है असरदार?

Evil Eye Remedies

द लोकतंत्र: भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में “बुरी नजर” या “ईविल आई” का विश्वास सदियों से चला आ रहा है। चाहे इसे अंधविश्वास कहा जाए या फिर आस्था, लेकिन जब बात बच्चों की सुरक्षा की हो तो मां अपने सारे तर्कों को पीछे छोड़ देती है। “दवा असर न करे तो नजर उतारती है, मां है जनाब वो हार कहां मानती है”, यह कहावत मातृत्व प्रेम की सबसे सटीक व्याख्या है।

यशोदा मां भी करती थीं नजर उतारने का प्रयास
पौराणिक कथाओं में वर्णन है कि मईया यशोदा जब श्रीकृष्ण को बुरी नजर से बचाना चाहती थीं तो वह सबला गाय की पूंछ से नजर उतारती थीं। यह दर्शाता है कि बुरी नजर की अवधारणा कोई नया विषय नहीं है, बल्कि यह परंपराओं में रचा-बसा हुआ है।

क्या चप्पल से भी नजर उतारी जाती है?
आज भी गांव-देहात और कई शहरों में चप्पल से नजर उतारने का प्रचलन देखने को मिलता है। यह उपाय थोड़ा असामान्य जरूर लगता है, लेकिन इसके पीछे मान्यता है कि जब व्यक्ति पर नकारात्मक ऊर्जा हावी होती है तो जूते-चप्पल, जो ज़मीन से सीधे जुड़े होते हैं, उस ऊर्जा को सोख सकते हैं।

ज्योतिष के अनुसार, शनि का वास पैरों में और नजर दोष का संबंध राहु से माना जाता है। इसलिए लोग मानते हैं कि पैरों से जुड़े चप्पल के जरिए इन प्रभावों को कम किया जा सकता है।

चप्पल से नजर उतारने की विधि
शनिवार के दिन यह उपाय करना अधिक फलदायी माना जाता है।

जिस बच्चे या व्यक्ति को नजर लगी हो, उसकी चप्पल लें।

उसे व्यक्ति के सिर से लेकर पांव तक एंटी क्लॉकवाइज़ दिशा में 7 बार घुमाएं।

फिर उस चप्पल को घर की दहलीज पर तीन बार झाड़ें।

ऐसा माना जाता है कि नकारात्मक ऊर्जा घर के बाहर ही रह जाती है।

इस उपाय के बाद चप्पल को सामान्य रूप से फिर से इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

विज्ञान क्या कहता है?
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नजर उतारने के उपायों की कोई पुष्टि नहीं है। लेकिन इसका मनोवैज्ञानिक असर गहरा होता है। माता-पिता को मानसिक राहत, शांति और संतोष मिलता है, जिससे वे अपने बच्चे की देखभाल और भी अच्छे से कर पाते हैं।

Uma Pathak

Uma Pathak

About Author

उमा पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मास कम्युनिकेशन में स्नातक और बीएचयू से हिन्दी पत्रकारिता में परास्नातक किया है। पाँच वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली उमा ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उमा पत्रकारिता में गहराई और निष्पक्षता के लिए जानी जाती हैं।

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