द लोकतंत्र: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। हर महीने आने वाली अमावस्या तिथि को पितरों को समर्पित माना गया है। सावन माह की अमावस्या, जिसे हरियाली अमावस्या भी कहते हैं, इस बार 24 जुलाई 2025, गुरुवार को मनाई जाएगी।
पितृ पूजन और तर्पण का महत्व
भारतीय संस्कृति में माना जाता है कि पूर्वजों का आशीर्वाद जीवन में सुख, समृद्धि और उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। चाहे कुंडली में पितृ दोष हो या न हो, इस दिन पितरों को जल, तिल, खीर और पूजा अर्पित कर उनका आशीर्वाद लिया जा सकता है।
यह केवल एक धार्मिक कार्य नहीं, बल्कि भावनात्मक और आध्यात्मिक जुड़ाव का प्रतीक है। इस दिन तर्पण, पिंडदान और भोग लगाने से पितृ प्रसन्न होते हैं और वंशजों को सुखद भविष्य का आशीर्वाद देते हैं।
हरियाली अमावस्या तिथि और शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारंभ: 24 जुलाई 2025, 02:28 AM
अंत: 25 जुलाई 2025, 12:40 AM
ब्रह्म मुहूर्त: 04:15 AM से 04:57 AM
अभिजीत मुहूर्त: 12:00 PM से 12:55 PM
कैसे करें तर्पण और पिंडदान
सूर्योदय से पूर्व स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
घर या किसी नदी, तालाब, पोखर के पास पीपल या बरगद के नीचे तर्पण करें।
जल, काले तिल, चावल, कच्चा दूध अर्पित करें।
अपने पितरों के नाम का स्मरण करते हुए पिंडदान करें।
खीर, पूरी, हलवा बनाकर ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान दें।
वस्त्र, जूते, तेल, लकड़ी, कंबल जैसे सामग्री भी दान कर सकते हैं।
तीर्थ स्थलों पर तर्पण का महत्व
यदि संभव हो तो इस दिन किसी तीर्थ स्थल जैसे गया, प्रयाग, हरिद्वार या नासिक जाकर तर्पण करें। वहां किया गया तर्पण विशेष फलदायक होता है और पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
हरियाली अमावस्या 2025 का दिन केवल पितरों के लिए पूजा का नहीं, बल्कि आत्मिक संतुलन और परिवारिक सुख की ओर एक कदम है। इस दिन अपने पितरों को स्मरण करना, उनसे क्षमा मांगना और उनका आशीर्वाद लेना न भूलें। यह एक सरल लेकिन अत्यंत प्रभावशाली कर्म है जो आपके जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भर देगा।