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Hariyali Teej 2025 Vrat: हरियाली तीज व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व

हरियाली तीज 2025

द लोकतंत्र: सनातन परंपरा में श्रावण मास का विशेष महत्व होता है, और इसी पवित्र माह में आने वाला हरियाली तीज व्रत महिलाओं के लिए सौभाग्य, प्रेम और पारिवारिक समृद्धि का पर्व माना जाता है। यह त्योहार श्रावण शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 27 जुलाई 2025, रविवार को पड़ रही है।

यह पर्व विशेष रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र और सुखमय दांपत्य जीवन की कामना करती हैं, जबकि अविवाहित लड़कियां अच्छा जीवनसाथी पाने की प्रार्थना करती हैं।

हरियाली तीज 2025 का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार श्रावण शुक्ल तृतीया तिथि की शुरुआत 26 जुलाई 2025 को रात 10:41 बजे से होगी और समाप्ति 27 जुलाई रात 10:41 बजे होगी।

उदयातिथि के अनुसार व्रत : 27 जुलाई 2025, रविवार

अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:00 बजे से 12:55 बजे तक

रवि योग : 27 जुलाई शाम 4:23 से 28 जुलाई सुबह 5:40 तक

हरियाली तीज का धार्मिक महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तप किया था। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिव ने तीज के दिन उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इसी स्मृति में हरियाली तीज मनाई जाती है। यह व्रत अखंड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है।

हरियाली तीज की पूजा विधि
सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर शिव-पार्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
पूजा सामग्री जैसे फल, फूल, धूप, दीप, मिष्ठान पास में रखें।
भगवान गणेश का आवाहन करके पूजा आरंभ करें।
शिव-पार्वती को पुष्प, जल, नैवेद्य अर्पित करें।
तीज व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
अंत में आरती करें और बड़ों का आशीर्वाद लें।

हरियाली तीज के उपाय व दान का महत्व
हरियाली तीज के दिन सुहाग की 16 श्रृंगार सामग्री जैसे चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर, मेहंदी आदि दान करना अत्यंत शुभ माना गया है। सामर्थ्य अनुसार गरीब महिलाओं को कपड़े, अन्न या धन का दान करने से पुण्य फल प्राप्त होता है।

हरियाली तीज: प्रकृति और प्रेम का उत्सव
हरियाली तीज का नाम ही प्रकृति से जुड़ा है। यह पर्व हरियाली और मानसून के स्वागत के रूप में भी मनाया जाता है। महिलाएं झूले झूलती हैं, लोक गीत गाती हैं और एक-दूसरे को तीज की बधाइयां देती हैं। यह सिर्फ एक धार्मिक व्रत ही नहीं, बल्कि नारी शक्ति, प्रकृति प्रेम और पारिवारिक सौहार्द का उत्सव है।

Uma Pathak

Uma Pathak

About Author

उमा पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मास कम्युनिकेशन में स्नातक और बीएचयू से हिन्दी पत्रकारिता में परास्नातक किया है। पाँच वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली उमा ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उमा पत्रकारिता में गहराई और निष्पक्षता के लिए जानी जाती हैं।

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