द लोकतंत्र: हरतालिका तीज का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास माना जाता है। यह व्रत पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए रखा जाता है। इस व्रत और पूजा में जिस एक चीज का विशेष महत्व होता है, वह है फुलेरा। धार्मिक मान्यता है कि फुलेरा बांधे बिना तीज की पूजा अधूरी मानी जाती है।
फुलेरा क्या है?
फुलेरा फूलों और पत्तियों से बनी एक विशेष सजावट है, जिसे शिव-पार्वती की प्रतिमा या शिवलिंग के ऊपर बांधा जाता है। इसे पांच लड़ियों से बनाया जाता है और यह भगवान शिव की पांच पुत्रियों जया, विषहरा, शामिलबारी, देव और दोतली का प्रतीक माना जाता है।
फुलेरा बनाने में उपयोग होने वाले फूल
फुलेरा बनाने में पांच तरह के प्रमुख फूलों का प्रयोग होता है, जिनका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है:
गेंदे के फूल (पीले-नारंगी) – शुभता और मंगल का प्रतीक
गुलाब – प्रेम और भक्ति का प्रतीक
चंपा – सुंदरता और सुगंध का प्रतीक
चमेली/मोगरा – पवित्रता और शांति का प्रतीक
कमल – समृद्धि और लक्ष्मी का प्रतीक
इन पांच फूलों से बनाई गई लड़ियां मंडप पर सजाई जाती हैं, जो शिव-पार्वती के पूजन को पूर्ण बनाती हैं।
फुलेरा बनाने में उपयोग होने वाली पत्तियां
फुलेरा की सुंदरता और पवित्रता बढ़ाने के लिए विभिन्न पत्तियों का भी इस्तेमाल किया जाता है:
आम की पत्तियां – आयु और सुख-समृद्धि का प्रतीक
अशोक की पत्तियां – सौभाग्य और शांति का प्रतीक
केले के पत्ते – स्थिरता और शुभता का प्रतीक
बांस – शक्ति और स्थायित्व का प्रतीक
क्यों खास है फूल और पत्तों का चुनाव?
हर फूल और पत्ती का चयन केवल सजावट के लिए नहीं किया जाता, बल्कि उनके प्रतीकात्मक और धार्मिक महत्व को ध्यान में रखकर किया जाता है। यह फूल-पत्ते पूजा के समय वातावरण को शुद्ध करते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं।
मान्यता है कि फुलेरा के दर्शन मात्र से दांपत्य जीवन में सुख, समृद्धि और प्रेम बढ़ता है। यही कारण है कि तीज के व्रत में फुलेरा बांधना आस्था और श्रद्धा का अहम प्रतीक माना गया है।
हरतालिका तीज और फुलेरा बांधने का महत्व
इसी बीच आज देशभर में हरतालिका तीज का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। खासकर उत्तर भारत में महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस व्रत के दौरान फुलेरा बांधना विशेष महत्व रखता है।
फुलेरा एक पवित्र बंधन होता है जिसमें लाल या पीले कपड़े पर रोली, चावल, फूल और पत्ते बांधे जाते हैं।
इसे शिव-पार्वती के मिलन और दांपत्य जीवन की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
सुहागिन महिलाएं इसे अच्छे पति के स्वास्थ्य, दीर्घायु और वैवाहिक सुख की कामना से बांधती हैं, वहीं कुंवारी कन्याएं योग्य वर की प्राप्ति की प्रार्थना करती हैं।
इस तरह जहां एक ओर दिल्ली की राजनीति में ईडी छापेमारी से हलचल मची है, वहीं दूसरी ओर देशभर में आस्था और भक्ति के रंग में लोग डूबे हुए हैं।
हरतालिका तीज पर फुलेरा बांधना सिर्फ परंपरा ही नहीं, बल्कि शिव-पार्वती की पूजा को पूर्ण करने का तरीका भी है। फूलों और पत्तियों से बनी यह सजावट दांपत्य जीवन में खुशहाली लाने के साथ-साथ प्रकृति की प्रचुरता और देवी पार्वती के प्रति समर्पण का प्रतीक भी है।