द लोकतंत्र : हिंदू मान्यता के अनुसार जब भगवान विष्णु ने सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से विभाजित किया, तब उनके अंग जहां-जहां गिरे, वे स्थान शक्तिपीठ कहलाए। हिमाचल प्रदेश, जिसे देवभूमि भी कहा जाता है, में कई पवित्र शक्तिपीठ स्थित हैं। यहां न सिर्फ नवरात्रि के समय बल्कि पूरे वर्ष भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। हिमाचल प्रदेश के पांच प्रमुख शक्तिपीठों में ज्वालाजी, चिंतपूर्णी, ब्रजेश्वरी देवी, चामुंडा देवी और नैना देवी मंदिर का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।
ज्वालाजी मंदिर
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित ज्वालाजी मंदिर अत्यंत प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। पौराणिक मान्यता के अनुसार यहां सती की जीभ गिरी थी। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां बिना दीया या बाती के प्राकृतिक रूप से नौ ज्वालाएं जलती रहती हैं। भक्त इन्हें देवी के नौ स्वरूपों के प्रतीक मानते हैं। इन अग्नि-ज्वालाओं को पानी से भी बुझाया नहीं जा सकता।
चिंतपूर्णी मंदिर
ऊना जिले में स्थित चिंतपूर्णी मंदिर वह स्थान है जहां सती के चरण गिरे थे। यहां मां चिंतपूर्णी पिंडी स्वरूप में विराजमान हैं और भक्तों की सभी चिंताओं का निवारण करती हैं। इस मंदिर में पूरे साल श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है।
ब्रजेश्वरी देवी मंदिर
कांगड़ा जिले का एक और प्रसिद्ध शक्तिपीठ ब्रजेश्वरी देवी का मंदिर है। यहां मां सती का वक्ष गिरा था। देवी को स्थानीय लोग “नगरकोट की रानी” भी कहते हैं। मान्यता है कि इस धाम में माता के दर्शन करने से दुख दूर होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
चामुंडा देवी मंदिर
पालमपुर से लगभग 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चामुंडा देवी मंदिर बाणगंगा नदी के किनारे बसा है। यहां मां को काली के स्वरूप में पूजा जाता है। चामुंडा नाम चंड और मुंड असुरों के वध से जुड़ा है। भक्त मानते हैं कि यहां पूजा करने से सभी बाधाएं और शत्रु भय दूर हो जाते हैं।
नैना देवी मंदिर
बिलासपुर जिले में स्थित नैना देवी मंदिर भी 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां पर सती की आंख गिरी थी। ऊंचे पर्वत पर स्थित इस मंदिर तक भक्त रोपवे की सहायता से भी पहुंच सकते हैं। यह मंदिर पूरे वर्ष श्रद्धालुओं से भरा रहता है।
धार्मिक महत्व
हिमाचल प्रदेश के ये शक्तिपीठ न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं बल्कि आध्यात्मिक शक्ति और श्रद्धा का अद्वितीय प्रतीक भी हैं। नवरात्रि के समय इन मंदिरों में विशेष उत्सव और मेलों का आयोजन होता है, जिसमें देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं।
हिमाचल प्रदेश के ये पांच शक्तिपीठ शक्ति साधना के पावन केंद्र हैं और यहां दर्शन मात्र से भक्तों को आशीर्वाद एवं मानसिक शांति प्राप्त होती है।