द लोकतंत्र : हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास (सावन) भगवान शिव को समर्पित सबसे पवित्र महीनों में से एक है। वर्ष 2025 में सावन की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है और इसका समापन 9 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन होगा। इस दौरान उत्तर भारत समेत पूरे देश में कांवड़ यात्रा का उत्साह चरम पर रहता है। लाखों की संख्या में शिवभक्त पवित्र नदियों से गंगाजल लाकर अपने गांव या शहर के शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं।
यात्रा मार्ग पर सुरक्षा और सुविधा के पुख्ता इंतज़ाम
कांवड़ यात्रा को लेकर प्रशासन ने इस बार सुरक्षा और सुविधा को लेकर विशेष योजनाएं बनाई हैं। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड और बिहार में कांवड़ मार्गों पर:
- अस्थायी विश्राम स्थल
- पेयजल और भोजन की व्यवस्था
- चल चिकित्सा शिविर
- महिला सुरक्षा के लिए हेल्प डेस्क
- और CCTV निगरानी की व्यवस्था की जा रही है।
टेक्नोलॉजी से होगी यात्रा सुगम
इस बार कई जिलों में मोबाइल ऐप और हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं, जिनसे यात्री यात्रा मार्ग की लाइव स्थिति, भीड़भाड़ वाले इलाके और आपातकालीन सेवाएं जान सकेंगे।
डीजे और हाई वॉल्यूम पर रहेगा नियंत्रण
प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि तेज़ डीजे और ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण रहेगा। श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे यात्रा को शांतिपूर्ण और भक्तिमय बनाए रखें।
शिवभक्ति का प्रतीक है कांवड़ यात्रा
कांवड़ यात्रा केवल जल लाने की परंपरा नहीं, बल्कि समर्पण, अनुशासन और समाजिक एकता का पर्व है। छोटे-बड़े, पुरुष-महिला सभी भक्त नंगे पैर, झोला उठाए “बोल बम” के जयघोष के साथ निकल पड़ते हैं।
कांवड़ यात्रा के साथ देश एक बार फिर शिवभक्ति में रंगने को तैयार है। श्रद्धा और प्रशासनिक संयोजन से यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करती है, बल्कि सामाजिक सद्भाव का भी उदाहरण बनती है।