द लोकतंत्र: हर साल भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से अश्विन कृष्ण अष्टमी तक महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) का आयोजन किया जाता है। इस बार महालक्ष्मी व्रत 31 अगस्त 2025 से शुरू होकर 14 सितंबर 2025 तक चलेगा। यह व्रत पूरे 16 दिनों तक रखा जाता है और इस दौरान मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि महालक्ष्मी व्रत करने से घर-परिवार से दरिद्रता दूर होती है और सुख-समृद्धि का वास होता है।
महालक्ष्मी व्रत की कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक गरीब ब्राह्मण भगवान विष्णु का परम भक्त था। वह रोजाना विष्णु भगवान की पूजा करता था। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा। ब्राह्मण ने लक्ष्मी जी से अपने घर में निवास की प्रार्थना की।
विष्णु जी ने बताया कि मंदिर के सामने जो स्त्री उपले थापने आती है, वही लक्ष्मी जी हैं। यदि वह उन्हें घर आमंत्रित करेगा तो उसका घर धन-धान्य से भर जाएगा। ब्राह्मण ने लक्ष्मी जी को निमंत्रण दिया। तब मां लक्ष्मी ने कहा कि यदि वह पूरे 16 दिनों तक महालक्ष्मी व्रत करेगा और अंतिम दिन चंद्रमा को अर्घ्य देगा तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी।
ब्राह्मण ने पूरे विधि-विधान से व्रत किया और 16वें दिन चंद्रमा को अर्घ्य दिया। इसके बाद लक्ष्मी जी ने उसकी मनोकामनाएं पूरी कीं और उसका जीवन सुख-समृद्धि से भर गया।
महालक्ष्मी व्रत का महत्व
महालक्ष्मी व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
इस व्रत से दरिद्रता दूर होती है और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
महिलाएं यदि यह व्रत करती हैं तो उनके लिए यह विशेष कल्याणकारी माना गया है।
कथा का पाठ करने से करियर और कारोबार में उन्नति होती है।
भक्त की सभी मनोकामनाएं मां लक्ष्मी पूरी करती हैं।
पूजन विधि
व्रत करने वाले व्यक्ति को प्रतिदिन स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए।
कलश स्थापना कर मां लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र की पूजा करें।
लाल फूल, मिठाई और धूप-दीप अर्पित करें।
महालक्ष्मी व्रत कथा का पाठ करें और लक्ष्मी जी से धन-धान्य की प्रार्थना करें।
16वें दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करें।